हरदा जिला मुख्यालय पर जल संसाधन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए करीब 50 साल पहले तवा कॉलोनी बनाई गई थी। इसमें लगभग 72 क्वार्टर का निर्माण किया गया था। देखरेख और मरम्मत के अभाव में ये आवास अब जर्जर हो चुके हैं।
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सालों से मरम्मत न होने के कारण अधिकारियों के आवासों को छोड़कर कर्मचारियों के लिए बने क्वार्टर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। यहां रहने वाले परिवार लगातार भय के माहौल में जीने को मजबूर हैं। क्वार्टरों की हालत इतनी खराब है कि छतों से बड़े-बड़े हिस्से गिरने के डर से लोगों ने उन पर जालियां लगा रखी हैं।
दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं, जिससे उनके गिरने का खतरा बना रहता है। कर्मचारियों के परिजनों ने बताया कि उन्होंने कई बार शिकायतें की हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही कभी रखरखाव का काम किया गया। उन्होंने खुद कई बार मरम्मत कराई है, लेकिन बारिश का पानी छतों और दीवारों में सीलन पैदा करता है। वहीं, जमीन के हिस्से से जहरीले जानवरों के निकलने का डर बना रहता है।
इस मामले पर सिंचाई विभाग के एसडीओ मौसम पोर्ते ने बताया कि उन्होंने तीन बार मरम्मत के प्रस्ताव अपने वरिष्ठ कार्यालय को भेजे हैं। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद कार्यालय भवन और सभी क्वार्टरों की मरम्मत की जाएगी।
गौरतलब है कि इन क्वार्टरों की मियाद ही खत्म हो चुकी है। इनकी मरम्मत करने के बजाय इन्हें ध्वस्त कर नए सिरे से बनाना बेहतर होगा।
बताया जा रहा है कि ये क्वार्टर सिंचाई विभाग के कर्मचारियों के लिए बनाए गए थे। हालांकि, तत्कालीन विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण यहां के कुछ क्वार्टर कलेक्ट्रेट में कार्यरत कर्मचारियों को आवंटित कर दिए गए हैं। इस वजह से भी विभाग इन क्वार्टरों की मरम्मत में रुचि नहीं ले रहा है, क्योंकि कर्मचारियों को नाममात्र के किराए पर आवास मिले हैं।
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