Rewa News: रीवा का फूल बाज़ार शादियों की सजावट के लिए पूरी तरह से तैयार रहता है, जहाँ विभिन्न प्रकार के खूबसूरत फूल उपलब्ध होते हैं. इस बाज़ार में हर मौसम के लिए खास कलेक्शन मौजूद होता है, जिससे ग्राहक अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सजावट कर सकते हैं. यह बाज़ार स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है, जो लोगों के हर जश्न को और भी खास बनाता है.
किसानों की मेहनत और सपनों की महक
रीवा शहर का कोठी कंपाउंड स्थित फूल बाज़ार सिर्फ एक व्यापारिक जगह नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत और सपनों की महकती कहानी है. इसकी शुरुआत 1985 में हुई. रीवा के गांवों के किसान अपने खेतों में फूलों की नर्सरी तैयार किया करते थे. सुगंधा और रजनीगंधा जैसे फूलों से शुरू हुआ यह सफ़र धीरे-धीरे पूरे शहर में फूलों का हब बन गया और हर जगह खुशबू फैला रहा है.
बोरी से शुरू हुई दुकान, अब स्थायी दुकान
आशीष बताते हैं कि शुरुआत में बाज़ार में कोई व्यवस्था नहीं थी, तब हमारे पिताजी लोग बोरी बिछाकर फूल बेचते थे. धीरे-धीरे लोगों की मांग बढ़ी, तब नगर निगम से शिव मंदिर के पास एक स्थायी जगह मांगी गई, और वहीं से कोठी कंपाउंड में फूलों का स्थायी बाज़ार शुरू हुआ, जो अब ग्राहकों से गुलज़ार रहता है.
सुबह 4 बजे से शुरू होती है मेहनत
हर दिन व्यापारी सुबह 4 बजे अपने खेत में पहुँचते हैं. वहाँ से फूल तोड़कर 5–6 बजे तक बाज़ार पहुँचते हैं. उसके बाद दिनभर फूलों की बिक्री होती है. घर के बाकी सदस्य फूलों के खेत की देखभाल और निरीक्षण करते हैं. उनका कहना है कि भले ही अब फूलों का उत्पादन कम हो गया है, लेकिन सालाना 2.5–3 लाख की आय सिर्फ फूलों से होती है, जबकि अन्य फसलें मिलाकर सालाना 4–5 लाख तक की आमदनी होती है.
कई तरह की फूलों की वैरायटी उपलब्ध
आशीष, जो एक फूल व्यापारी हैं, बताते हैं कि कई फूलों की वैरायटी यहाँ मिल जाती है, जिनमें गुलवाकावली, जरबेरा, सुगंधा, जूही, बेला, चंपा, गुलदाउदी, डहलिया, अपराजिता, गेंदा और जरबेरा जैसे फूल शामिल हैं. शादी-ब्याह और त्योहारी सीजन में इनकी मांग काफ़ी बढ़ जाती है. हालांकि, बारिश के मौसम में कारोबार थोड़ी सुस्ती पकड़ लेता है.