साल में बस 200 रुपये का खर्च, गाय-भैंस बहाती रहेंगी दूध की नदियां, जिसने मानी ये सलाह, मिला फायदा!

साल में बस 200 रुपये का खर्च, गाय-भैंस बहाती रहेंगी दूध की नदियां, जिसने मानी ये सलाह, मिला फायदा!


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Animal Husbandry: पशुपालन विभाग के एक्सपर्ट ने बताया कि पशुपालक पशुओं को पेट के कीड़ों की दवा जरूर दें. पेट के कीड़े पशु का खून चूसते हैं, जिससे वह कमजोर हो जाते हैं. इससे पशुओं की दूध देने की क्षमता और उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. जानें सब…

Animal Husbandry: ठंड तेज होने लगी है. इसका सीधा असर पशुओं पर दिखाई देने लगा है. पशु विभाग के डॉक्टर की मानें तो इस समय अगर पशुपालक सावधानी नहीं बरतते तो दुग्ध उत्पादन में गिरावट होना तय है. इससे पशुपालकों को 45 से 50 हजार तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है. दूध देने वाले पशुओं में मौसम के बदलाव के दौरान पेट में कीड़े तेजी से पनपते हैं और ये कीड़े पशु के खून को चूसकर उन्हें इतना कमजोर बना देते हैं कि उनका दूध उत्पादन अचानक घटने लगता है.

वेटरनरी अस्पताल सीधी में पदस्थ डॉ. सलिल कुमार पाठक के अनुसार, मानसून की शुरुआत और अंत यानी मौसम बदलने के समय पेट के कीड़ों का खतरा सबसे ज्यादा होता है. जो कीड़े पशुओं के शरीर में खून चूसते हैं, वे शरीर में ऊर्जा की कमी पैदा कर देते हैं. ऐसे में पशुओं को सही मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता और धीरे-धीरे वे कमजोर होने लगते हैं. ऐसे पशु दूध कम देने के साथ-साथ हीट में भी नहीं आते और गर्भाधान की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है. यह स्थिति पशुपालकों के लिए बड़ी आर्थिक चुनौती बन सकती है.

110 या 120 की आएगी ये दवा
डॉ. पाठक ने बताया, पशुओं को साल में कम से कम दो बार कृमिनाशक दवा देना बेहद जरूरी है. पहली बार मानसून शुरू होते ही और दूसरी बार मौसम बदलने पर यह दवा देनी चाहिए. इसके इस्तेमाल से पशु पूरे साल स्वस्थ रहते हैं. पेट में कीड़ों के बढ़ने की संभावना खत्म हो जाती है. बाजार में उपलब्ध आइवरमेक्टिन और फेनबेंडाजोल जैसी दवा पशु के पेट के कीड़ों को खत्म करने में कारगर है. दवा की कीमत मात्र 110 से 120 रुपये है. हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि गर्भावस्था के दौरान किसी भी पशु को कृमिनाशक दवा नहीं देनी चाहिए. ऐसा करने से गर्भस्थ शिशु पर असर पड़ सकता है. कई मामलों में गर्भपात तक हो सकता है. इसलिए पशु को बच्चा देने के 10 से 15 दिन बाद ही यह दवा देना सुरक्षित माना जाता है.

पलाश के बीज का ये प्रयोग भी कारगर
आयुर्वेदिक उपचार पर जोर देते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. आरपी परौहा ने बताया, पलाश का बीज पशु में पेट के कीड़ों को खत्म करने का एक बेहतरीन और प्राकृतिक तरीका है. पलाश के बीज को सरसों और मट्ठा के साथ मिलाकर चटनी बनाएं और इसे लगातार 3 से 4 दिन तक पशु को खिलाएं. इससे पेट के कीड़े नष्ट होते हैं, भूख बढ़ती है और पाचन तंत्र मजबूत होता है. इस घरेलू नुस्खे का लाभ है कि इससे पशु के दूध उत्पादन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता. ठंड के मौसम में जहां इंसानों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है, वहीं बेजुबान जानवरों को भी इस परिवर्तन का सीधा असर झेलना होता है. ऐसे में समय रहते सावधानी बरतना और डॉक्टरों की सलाह मानना ही समझदारी है.

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Rishi mishra

एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें

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साल में बस 200 रुपये का खर्च, गाय-भैंस बहाती रहेंगी दूध की नदियां, जानें कैसे



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