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Agri Tips: कृषि एक्सपर्ट ने बताया कि ठंड में फसलों को पाले से बचाने के लिए ये उपाय बेहद कारगर है. इसमें खर्च और मेहनत दोनों कम लगती है. हर 15 दिन पर ऐसा करने से फसल सेफ रहती है. सेहत पर कोई साइड इफेक्ट भी नहीं पड़ता. जानें उपाय…
Agriculture Tips: बुंदेलखंड सहित मध्य प्रदेश के कई जिलों में तापमान 10 डिग्री से नीचे बना हुआ है. हिमालय उत्तराखंड से आ रही बर्फीली हवाओं की वजह से तापमान लगातार गिर रहा है. इस बीच मौसम विभाग में एक और नया पश्चिमी विक्षोभ बनने का अनुमान है. इसके असर से आने वाले दिनों में कड़ाके की ठंड पड़ेगी. इससे आम जनजीवन के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव देखने को मिल सतता है. जो लोग ठंड से बचाव नहीं करते, उनके लिए यह लापरवाही भारी पड़ जाती है.
लेकिन, इस ठंड का प्रभाव केवल इंसानों या पशुओं पर ही नहीं होता. हमारे खेत खलिहान भी बुरी तरह प्रभावित हो जाते हैं. फसलें सूख जाती हैं या उपज प्रभावित होती है. ऐसे में सब्जी या अन्य फसलों की खेती करने वाले किसान नुकसान उठाते हैं. आज हम आपको एक ऐसा तरीका बताते हैं, जो सस्ता है और बेहद कारगर है. इसको फसल पर उपयोग करने के बाद ठंड उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकेगी, यानी फसल शीतलहर में सुरक्षित रहेगी.
₹30 के सल्फर का छिड़काव
सागर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. केएस यादव बताते हैं कि जिस दिन पाला पड़ने की संभावना होती है, उस दिन वातावरण एकदम शांत होता है. हवाएं रुक जाती हैं. ऐसे में किसान भाइयों को समझते हुए घुलनशील सल्फर का छिड़काव खेत में करना चाहिए. दो से ढाई ग्राम प्रति लीटर सल्फर को 15 लीटर पानी में घोल बनाएं. फिर इसका अच्छे से छिड़काव कर दें. मुश्किल से एक एकड़ में 30-35 रुपए का खर्च आएगा. इसी तरह थायो यूरिया का भी छिड़काव कर सकते हैं. आधा किलो घुलनशील थायो यूरिया का छिड़काव प्रति एकड़ कि दर से कर सकते हैं. इसका खर्च भी 70- 80 रुपए आएगा. इनका प्रयोग तब किया जाता है, जब सर्दी पड़ने की आशंका होती है. 10 से 15 दिन में एक बार ही इनका उपयोग किया जाता है.
जाने कब लगता है पाला
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि जब तापमान दो या चार डिग्री के आसपास पहुंच जाता है, तब ओस की बूंदें पौधे पर गिरती हैं. वह बर्फ के रूप में परिवर्तित होती हैं. पौधे की जो कोशिकाएं होती हैं, वह फट जाती हैं. इससे पौधा झुलस जाता है. इसका सीधा असर फसलों के नुकसान से होता है.
बता दें कि जब किसी भी किसान की फसल पर पाला पड़ता है तो वह केवल फसल पर प्रभाव नहीं करता है, बल्कि एक किसान के पीछे उसकी महीनों की दिन-रात की मेहनत होती है. परिवार के सपने होते हैं. बच्चों को उम्मीदें होती है कि फसल बिकेगी तो पैसा जाएगा. नुकसान होने पर किसान को कई कई बार कर्ज लेने की नौबत आ जाती है. समय पर नहीं चुका पाने से उन्हें कभी-कभी बेइज्जत भी होना पड़ता है. ऐसे में किसान भाइयों को अपनी फसल सुरक्षित रखने के लिए हमेशा सतर्क रहना चाहिए. कृषि वैज्ञानिक या कृषि अधिकारियों द्वारा जो सलाह उनके लिए दी जाती है, उसको फॉलो करें, ताकि आपकी मेहनत बेकार न होने पाए.
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एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें