इंदौर से 100 km दूर, विंध्य की पहाड़ियों में छिपा पुराना नगर, जहां जाने के बाद याद आएगी बाहुबली मूवी!

इंदौर से 100 km दूर, विंध्य की पहाड़ियों में छिपा पुराना नगर, जहां जाने के बाद याद आएगी बाहुबली मूवी!


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Mandav Best Tourist Place: मांडव इंदौर से 100 km दूर विंध्याचल की पहाड़ियों में स्थित है, जहां जहाज महल, नीलकंठ महादेव मंदिर, होशंग शाह का मकबरा, अशर्फी महल, रानी रूपमती महल और हिंडोला महल हैं.

सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है. ऐसे में अगर आप इंदौर के पास पूरा 1 दिन बीतने के लिए कोई अच्छी जगह ढूंढ रहे हैं तो मांडव से बेहतर विकल्प नहीं हो सकता. इंदौर से महज 100 km दूर, विंध्याचल की पहाड़ियों में छिपा मांडव एक ऐसी जगह है, जहां प्राचीन इमारतें, खंडहर, हवा में सदियों पुरानी प्रेम कहानियां, शौर्य गाथाएं और वास्तुकला के अजूबे हैं, जो दिल छू लेते हैं.

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मांडू में इतिहास, प्रकृति और सुकून तीनों एक साथ मिलते हैं. आस-पास हरी-भरी पहाड़ियां हैं. पहाड़ियों पर बसे हैं पुराने महल. यहां कदम रखते ही आप इतिहास के गलियारों में पहुंच जाते हैं, कई जिले और इको पॉइंट्स हैं. यहां जंगली जीव भी देखने को मिल जाते हैं. एक दिन की छुट्टी बिताने के लिए मांडव से बेहतर जगह नहीं हो सकती.

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मांडू पहुंचते ही आप सबसे पहले जहाज महल देखने जाइए. इसका नाम जहाज महल इसलिए पड़ा क्योंकि ये दो कृत्रिम झीलों, कपूर तालाब और मुंज तालाब के बीच में बना है. दूर से देखने पर ये किसी विशाल जहाज जैसा लगता है, जो पानी में तैर रहा हो. इसके अंदर आपको सुंदर बालकनियां, मेहराब और पानी के चैनल मिलेंगे. गर्मियों में ये महल कापी ठंडा रहता है जो इसकी शानदार इंजीनियरिंग को दिखाता है.

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मांडू की सबसे खास जगह पुराने मुगल महल के खंडहरों के बीच में बना नीलकंठ महादेव मंदिर है. इसे मुगल शासक अकबर के सूबेदार ने उनकी पत्नी के लिए बनवाया था. यहां पहाड़ी के नीचे कोख में महादेव का मंदिर बना है, जहां नालियों के बीच में घूमते हुए पानी पहाड़ियों में जाता है. बरसात के मौसम में यह जगह पूरी तरह हरियाली से ढक जाती है और यहां का झरना इसे और भी आकर्षक बना देता है. यहां एक छोटा सा प्राकृतिक कुंड भी है, जहां का पानी काफी ठंडा रहता है.

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मांडू में ही स्थित है होशंग शाह का मकबरा. माना जाता है कि यह भारत की पहली ऐसी इमारत है, जिसे संगमरमर से बनाया गया है. माना जाता है कि शाहजहां ने आगरा में ताजमहल बनाने के लिए थी, अपने आर्किटेक्ट्स को मांडू भेजा था ताकि वे इस मकबरे का डिज़ाइन और सफ़ेद संगमरमर का काम देखकर सीख सकें. इसके अलावा जामा मस्जिद के सामने मौजूद अशर्फी महल अभी देखने लायक जगह है. इसे सोने के सिक्के का महल कहा जाता है. कहा जाता है कि सुल्तान यहां पढ़ने वाले छात्रों को इनाम के तौर पर सोने के सिक्के देते थे.

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मांडू के किनारे काफी ऊंची पहाड़ी पर स्थित है रानी रूपमती का महल. वैसे यह महल नहीं, बल्कि एक मंडप है, जहां से दूर स्थित नर्मदा मैया के दर्शन होते हैं. दरअसल रानी रुपमती मां नर्मदा की बहुत बड़ी भक्त थी और उनके दर्शन किए बिना पानी भी नहीं पीती थी, यह मंडप बाज बहादुर ने उनके लिए बनवाया था. जब वह उठकर सबसे पहले मां के दर्शन करती थी. यहां आसपास खूब हरियाली और नर्मदा मैया के दर्शन एक अद्भुत अनुभव देते हैं.

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मांडू में ही मौजूद एक ऐसा महल जिसे झूलता हुआ महल कहा जाता है, इसका नाम है हिंडोला महल. ये महल गयासुद्दीन खिलजी ने बनवाया था और इसका उपयोग एक दरबार हॉल के रूप में किया जाता था. इसका नाम हिंडोला इसलिए पड़ा क्योंकि इसकी दीवारें 50 डिग्री के कोण पर झुकी हुई हैं, जिससे देखने में ऐसा लगता है कि जैसे महल झूल रहा हो. घुसते ही आपको एक बड़ा हॉल दिखेगा, जहां दरबार लगता था. इसकी मोटी-मोटी दीवारें और बड़े-बड़े मेहराब आपको मुगल काल की याद दिलाएंगे.

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मांडू के आखिरी स्वतंत्र शासक, सुल्तान बाज़ बहादुर का बनवाया एक महल है बाज बहादुर महल. इसे उनकी और रानी रूपमती के प्रेम की धरोहर के रूप में जाना जाता है, हालांकि ये उतना भव्य और बड़ा नहीं है, लेकिन क्या महल आपको मांडू के मुगल काल की याद दिलाता है, यहां से आसपास का नज़ारा भी बड़ा शानदार दिखता है.

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