फूफा ने पैर पकड़े, पिता ने गला घोंटा: 14 साल की नाबालिग की हत्या कर लाश को जलाया; बाथरूम के दरवाजे ने खोला मर्डर का राज – Madhya Pradesh News

फूफा ने पैर पकड़े, पिता ने गला घोंटा:  14 साल की नाबालिग की हत्या कर लाश को जलाया; बाथरूम के दरवाजे ने खोला मर्डर का राज – Madhya Pradesh News


क्राइम फाइल्स के पार्ट-1 में आपने पढ़ा कि बैतूल जिले के पाथाखेड़ा गांव में रहने वाली 14 साल की अंजलि 28 दिसंबर 2013 को अपने बॉयफ्रेंड रवि के साथ एक कमरे में पकड़ी जाती है। गांव वाले रवि को पुलिस के हवाले कर देते हैं और पूरा गांव इस वाकये की चर्चा करन

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गांव में हो रही बदनामी को देखते हुए अंजलि के पिता उसे गांव से 5 किमी दूर रहने वाली अपनी बहन के घर रहने को भेज देते हैं। दो दिन बाद ही बुआ के घर के बाथरूम में अंजलि की जली हुई लाश मिलती है। परिवार के लोग पुलिस को बयान देते हैं कि बदनामी के डर से अंजलि ने बाथरूम में आग लगाकर खुदकुशी कर ली।

दूसरी तरफ पुलिस को कुछ ऐसे सुराग मिलते हैं कि वह हत्या के एंगल से भी केस की जांच करती है। इसी बीच पुलिस को अंजलि की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलती है। इस रिपोर्ट के बाद पुलिस केस में और ज्यादा उलझ गई।

क्या था पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में और पुलिस ने कैसे इस मामले को सॉल्व किया? पढ़िए क्राइम फाइल्स का पार्ट-2…

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा- मौत जलने से नहीं सांस की कमी से पुलिस इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर थे। केरोसीन की बोतल, जली हुई माचिस की तीली और बुरी तरह जल चुका शव, ये सबकुछ एक सुनियोजित आत्महत्या की तरफ इशारा कर रहा था। परिवार वाले भी एक ही बात दोहरा रहे थे कि लड़की ने बदनामी के डर से खुद को आग लगा ली।

वे बार-बार अंजलि के बॉयफ्रेंड रवि पर भी शक जता रहे थे, लेकिन फोरेंसिक टीम का ध्यान बाथरूम के दरवाजे पर अटक गया था, जो सिर्फ सटा हुआ था, अंदर से बंद नहीं था। कोई इंसान खुद को आग लगाने से पहले दरवाजा खुला क्यों छोड़ेगा? यह सवाल इंस्पेक्टर सिंह के दिमाग में घूम रहा था। इसी बीच, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई और उसने मामले को और भी जटिल बना दिया।

रिपोर्ट तैयार करने वाली डॉक्टर श्वेता ने जो पाया, वह चौंकाने वाला था-

  • मौत का कारण: अंजलि की मौत जलने से नहीं, बल्कि ‘श्वास की कमी’ से हुई थी। इसका सीधा मतलब था कि उसकी हत्या गला दबाकर की गई थी और सबूत मिटाने के लिए शव को बाद में जलाया गया था।
  • शरीर की अकड़न: फोरेंसिक साइंस के मुताबिक शव के जलने के बाद मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं और हाथ-पैर मुड़ जाते हैं। शव की ऐसी स्थिति तो थी, लेकिन शरीर पर चोट या संघर्ष का कोई निशान नहीं था। ऐसा लग रहा था कि अंजलि ने विरोध करने की कोशिश ही नहीं की, या उसे इसका मौका ही नहीं मिला।
  • रिपोर्ट का विरोधाभास: हालांकि, डॉक्टर श्वेता ने गला दबाने की आशंका जताई थी, लेकिन पहली रिपोर्ट में मौत का सटीक समय और कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया था।

पुलिस ने चार एंगल पर शुरू की जांच इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह ने चार एंगल से जांच शुरू की थी। पहला था आत्महत्या, दूसरा- बॉयफ्रेंड द्वारा हत्या, तीसरा- ऑनर किलिंग और चौथा- कोई अज्ञात दुश्मन। मगर, महीने बीतते गए और केस की फाइल मोटी होती गई, पर सुराग के नाम पर कुछ हाथ नहीं लगा। घटनास्थल के आसपास कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था, और गांव का कोई भी व्यक्ति कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था।

पुलिस का सबसे गहरा शक अंजलि के परिवार पर ही था, खासतौर पर उसके फूफा जोगेंद्र सिंह के परिवार पर, क्योंकि लाश उन्हीं के घर में मिली थी। घर के पिछले हिस्से में बने उस बाथरूम तक किसी बाहरी व्यक्ति का पहुंचना लगभग नामुमकिन था। पुलिस ने घर में मौजूद सभी सदस्यों से कई दौर की पूछताछ की थी, मगर नतीजा सिफर रहा था।

सात महीने बाद…एक धमकी से मिला अहम सुराग सात महीने बीत चुके थे। यह केस एक बंद गली में पहुंच चुका था, सामने कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। इसी बीच एक छोटी सी घटना ने जांच की दिशा ही बदल दी। 2 जुलाई 2014 को, अंजलि के बॉयफ्रेंड रवि का भाई दीपक यादव पुलिस के पास पहुंचा। उसने बताया कि कुछ दिन पहले अंजलि का चचेरा भाई ओमप्रकाश उसके पास आया और उससे झगड़ने लगा।

गुस्से में ओमप्रकाश ने उसे धमकी दी और बोला- उस रवि को बुलाते क्यों नहीं, उसे सबक सिखाना है। अंजलि को तो ठिकाने लगा दिया, अब उसका काम लगाना है। मेरी लड़की तो मर गई, अब तेरे लड़के को नहीं छोड़ेंगे।” यह सिर्फ एक धमकी नहीं थी, यह एक अनकहा कबूलनामा था।

परिवार के तीन झूठ और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों का जाल इस बयान के आधार पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। जोगेंद्र सिंह के पूरे परिवार को हिरासत में ले लिया गया। अंजलि के पिता सुरेंद्र सिंह, जो घटना के वक्त वहां मौजूद नहीं थे, उन्हें भी हत्या की साजिश रचने, सबूत मिटाने में मदद करने और पुलिस को गुमराह करने के आरोप में मुख्य आरोपी बनाया गया। अब अंजलि का परिवार ही कटघरे में था। लेकिन उन्होंने अपना गुनाह कबूल नहीं किया।

खुद को बचाने के लिए उन्होंने कोर्ट और पुलिस के सामने तीन अलग-अलग और विरोधाभासी कहानियां गढ़ीं…

  • पहली कहानी (आत्महत्या): उन्होंने अपनी पुरानी बात दोहराई कि अंजलि ने बदनामी के डर से केरोसीन डालकर खुद को आग लगा ली।
  • दूसरी कहानी (बाहरी हत्यारा): उन्होंने तर्क दिया कि बाथरूम घर के पिछले हिस्से में है, इसलिए कोई बाहरी व्यक्ति भी अंजलि को मारकर वहां जला सकता था।
  • तीसरी कहानी (बॉयफ्रेंड पर आरोप): उन्होंने सीधे तौर पर रवि और उसके भाई पर हत्या का आरोप लगाया, यह कहते हुए कि उन्होंने बदला लेने के लिए अंजलि को मार डाला।

11 साल बाद कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा यह केस बैतूल जिला न्यायालय में 11 साल तक चला। इस मामले में कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। पूरा केस परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर टिका था। अभियोजन की तरफ से जो साक्ष्य पेश किए गए बचाव पक्ष उनका काउंटर नहीं कर सका।

  • बाथरूम का खुला दरवाजा: जो आत्महत्या की थ्योरी को कमजोर करता था।
  • पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट: जिसने गला दबाकर हत्या की पुष्टि की।
  • परिवार के विरोधाभासी बयान: जिन्होंने उनके झूठ को उजागर कर दिया।
  • ओमप्रकाश की धमकी: जो इस केस का सबसे मजबूत सबूत बनी।
  • सुरक्षित अपराध स्थल: जहां किसी बाहरी व्यक्ति का पहुंचना संभव नहीं था।

इन 11 सालों के दौरान, एक आरोपी, फूफा जोगेंद्र सिंह की मौत हो गई। आखिरकार, 29 सितंबर 2025 को इंसाफ का दिन आया। अपर सत्र न्यायाधीश, डॉ. महजबीन खान ने सभी साक्ष्यों और बयानों की गहन जांच के बाद अपना फैसला सुनाया।

उन्होंने माना कि परिवार के सदस्यों ने अपनी झूठी इज्जत बचाने के लिए अंजलि की गला दबाकर हत्या की और फिर उसे जलाकर आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की।

न्यायाधीश ने अंजलि के पिता सुरेंद्र सिंह, चचेरे भाई ओमप्रकाश और दीपक, बुआ गीतादेवी और भाभी राधिका को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। एक आरोपी, अनुराधा, को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया, क्योंकि घटना के दिन उसकी घर में मौजूदगी साबित नहीं हो सकी।

ये 29 सितंबर 2025 की तस्वीर है जब कोर्ट ने पिता सुरेंद्र सिंह समेत परिवार के 6 सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

ये 29 सितंबर 2025 की तस्वीर है जब कोर्ट ने पिता सुरेंद्र सिंह समेत परिवार के 6 सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

क्राइम फाइल्स पार्ट-1 भी पढ़ें…

बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड को गांव वालों ने सेक्स करते पकड़ा:चार दिन बाद बाथरूम में मिली लड़की की लाश

मध्य प्रदेश क्राइम फाइल्स में बात बैतूल के 11 साल पुराने एक ऐसे मामले की जिसमें पुलिस कई सालों तक इसी बात को लेकर उलझी रही कि ये मर्डर था या खुदकुशी। दरअसल, पाथाखेड़ा गांव में रहने वाली एक 14 साल की नाबालिग की जली हुई लाश मिली थी। पढ़ें पूरी खबर…



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