भगवान राम और अहिल्या बाई से जुड़ा है बुरहानपुर का यह मंदिर

भगवान राम और अहिल्या बाई से जुड़ा है बुरहानपुर का यह मंदिर


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Burhanpur news: लोकल 18 की टीम ने जब क्षेत्र के मेहुल श्रॉफ से बात की तो उन्होंने बताया कि इस तट का महत्व भगवान श्री राम और अहिल्याबाई होल्कर से जुड़ा हुआ है. क्योंकि यहां पर भगवान श्री राम आए थे और उन्होंने अपने पिता दशरथ राजा का श्राद्ध किया था. उसके बाद एक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का निर्माण भी करवाया था. यहां पर 12 ज्योतिर्लिंग के मंदिर मौजूद है. जहां पर आज भी भ

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बुरहानपुरः मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के ताप्ती नदी के नगरी घाट पर भगवान श्री राम स्वयं आए हुए थे. उन्होंने अपने पिता दशरथ राजा का इसी तट पर श्राद्ध किया था और उन्होंने 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों का निर्माण कराया था. आज भी यहां पर 12 ज्योतिर्लिंग मंदिर बने हुए हैं. यहां पर भगवान श्री राम ने पिता का श्राद्ध करने के बाद इन मंदिरों का निर्माण कराया था. आज भी यहां पर दूर-दूर से भक्त दर्शन पूजन करने के लिए आते हैं. इन मंदिरों की खासियत है कि यहां पर जो भी भक्त दर्शन पूजन करता है उसके पापों का नाश होता है.

राम और अहिल्याबाई से जुड़ा है नाम

लोकल 18 की टीम ने जब क्षेत्र के मेहुल श्रॉफ से बात की तो उन्होंने बताया कि इस तट का महत्व भगवान श्री राम और अहिल्याबाई होल्कर से जुड़ा हुआ है. क्योंकि यहां पर भगवान श्री राम आए थे और उन्होंने अपने पिता दशरथ राजा का श्राद्ध किया था. उसके बाद एक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का निर्माण भी करवाया था. यहां पर 12 ज्योतिर्लिंग के मंदिर मौजूद है. जहां पर आज भी भक्त दूर-दूर से दर्शन पूजन करने के लिए आते हैं. यहां पर महाशिवरात्रि के अवसर पर मेले का आयोजन भी होता है. जहां पर लोग दर्शन पूजन कर जिले में सुख शांति और समृद्धि की कामना करते हैं.

मंदिरों का हो रहा निर्माण

लोकल 18 की टीम ने जब योगेश भावसार से बात की तो उन्होंने बताया कि इस घाट का रिश्ता अहिल्याबाई होल्कर से भी जुड़ा हुआ है. क्योंकि उनके कार्यकाल में ही यहां पर इन मंदिरों का निर्माण करवाया गया था. अहिल्याबाई शिव मंदिरों का सबसे अधिक भारत देश में निर्माण करवाती थी. तब उनके नेतृत्व में ही इन मंदिरों का निर्माण हुआ है. इसलिए इन मंदिरों का महत्व और इतिहास अहिल्याबाई होल्कर और भगवान श्री राम से जुड़ा हुआ है.

युवाओं ने उठाया बेड़ा

क्षेत्र के उमेश सोनी का कहना है कि यह मंदिर करीब 200 साल पुराने बताए जाते हैं. बाढ़ के पानी से यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गए थे जिनको सही करने के लिए और इनका नवनिर्माण करने के लिए अब नागझिरी क्षेत्र के युवाओं ने यह बेड़ा उठाया है. उनके द्वारा एक समिति का निर्माण किया गया है. यह समिति इन मंदिरों के निर्माण कार्य से लेकर तो रंग रोगन का कार्य पूरा करने के लिए काम कर रही है. इस समिति में 100 से अधिक युवा जुड़े हुए हैं जिन्होंने यह काम शुरू कर दिया है.

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राजकुमार पांडेय

करीब ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता. नेटवर्क18 में आने से पहले राजकुमार पांडेय सहारा टीवी नेटवर्क से जुड़े रहे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद वहीं हिंदी दैनिक आज और जनमोर्चा में रिपोर्टिंग की. दिल…और पढ़ें

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