शहर में आवारा कुत्तों की समस्या पर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नगर निगम को जमकर फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान जब नगर निगम की ओर से कहा गया कि हमने 2.39 लाख से ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी कर दी है और यह काम हर दिन जारी है। इस पर कोर्ट ने कहा कि देखिए यह
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सामाजिक विकास भी हो रहा प्रभावित दरअसल जनता की सुरक्षा से जुड़े इस मुद्दे पर हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान ले रखा है। शुक्रवार को सुनवाई में प्रशासनिक जज विजयकुमार शुक्ला और जस्टिस बीके द्विवेदी की बेंच ने कहा कॉलोनी में बच्चों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। उनका सामाजिक विकास भी प्रभावित हो रहा है। आप इस समस्या पर ठोस कार्रवाई कीजिए, नहीं तो हम नसबंदी अभियान, अब तक किए स्टरलाइजेशन के मामले में न्यायिक जांच बैठा देंगे।
एक कुत्ते की नसबंदी पर 2 हजार का खर्च सवालिया
जस्टिस शुक्ला ने निगम द्वारा कुछ नहीं किए जाने पर गहरी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा आप लोग दो हजार रुपए एक श्वान के लिए खर्च कर रहे हो, यह वास्तव में बड़ा घोटाला है। इंदौर आवारा कुत्तों का हब बनता जा रहा है। 25 नवंबर को निगम को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन आज तक कुछ भी नहीं किया गया। कहीं कोई अभियान ही नहीं चलाया गया।
असलियत तो शहर में नजर आ रही है नगर निगम ने तर्क दिया कि शहर में दो स्थानों पर कैंप चल रहे हैं। अब तक 2.39 लाख कुत्तों की नसबंदी कर दी गई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह तो कागजों में होगा, आपके पास इसका क्या सबूत है, असलियत तो शहर में नजर आ रही है, पैदल चलना मुश्किल है। इस पर निगम की ओर से कहा गया कि जहां से भी सूचना आती है वहां से श्वानों को उठाकर रैबीज इंजेक्शन लगाते हैं और नसबंदी करते हैं।
कुत्तों के झुंड हमला कर रहे हैं मामले में कोर्ट ने कहा कि सड़कों पर रात में निकलना मुश्किल है। बाइक, स्कूटर वाले टकरा रहे हैं। कुत्तों के झुंड हमला कर रहे हैं। इस पर निगम ने कहा कि हम और तेजी व सख्ती के साथ अभियान चलाएंगे। इस मामले की सुनवाई अब 12 जनवरी को होगी। इससे पहले नगर निगम को प्रमुख स्थानों से आवारा श्वानों को हटाना होगा। हाई कोर्ट ने मामले में सीनियर एडवोकेट पीयूष माथुर को न्यायमित्र नियुक्त किया है। एडवोकेट मनीष यादव भी इंटरविनर के रूप में पैरवी कर रहे हैं।