खेत छोड़िए… मेड़ से भी कमाइए मुनाफा! ये 5 पेड़ लगाने से मजबूत दीवार जैसी सुरक्षा, किसान का स्मार्ट आइडिया

खेत छोड़िए… मेड़ से भी कमाइए मुनाफा! ये 5 पेड़ लगाने से मजबूत दीवार जैसी सुरक्षा, किसान का स्मार्ट आइडिया


Agri Tips: खेती में अक्सर सबसे ज्यादा अनदेखी अगर किसी हिस्से की होती है तो वह है खेत की मेड़. यही मेड़ फसल की पहली सुरक्षा पंक्ति होती है, लेकिन समय के साथ मिट्टी का कटाव, जानवरों का नुकसान और खरपतवार इसकी मजबूती को कमजोर कर देते हैं. वहीं, अब किसान पारंपरिक तारबंदी और कंक्रीट की दीवारों से आगे सोच रहे हैं. प्राकृतिक और टिकाऊ खेती की ओर बढ़ते कदमों के बीच कुछ ऐसे पौधे और घास हैं जो खेत की मेड़ को पक्की दीवार जैसा मजबूत बना सकते हैं. ये पौधे न सिर्फ मेड़ को मजबूती देते हैं, बल्कि जानवरों से सुरक्षा, मिट्टी संरक्षण और अतिरिक्त आमदनी का रास्ता भी खोलते हैं.

प्राकृतिक बाउंड्री का बढ़ता चलन
खेती में लागत कम करने और पर्यावरण के अनुकूल समाधान अपनाने की दिशा में किसान अब ग्रीन फेंसिंग को प्राथमिकता दे रहे हैं. बांस, नीम, मेहंदी, करौंदा, नींबू और लेमनग्रास जैसे पौधे खेत की मेड़ पर लगाकर किसान कुछ ही वर्षों में मजबूत और टिकाऊ बाउंड्री तैयार कर सकते हैं. इन पौधों की जड़ें मिट्टी को बांधकर रखती हैं जिससे बारिश और हवा से होने वाला कटाव रुकता है. कांटेदार और घने पौधे जंगली जानवरों के प्रवेश को भी काफी हद तक रोक देते हैं.

हाईटेक किसान की सलाह 
दिल्ली–पुणे की नौकरी छोड़कर यूट्यूब से खेती सीखी और आज मचान खेती से सतना में पहचान बना चुके अंशुमान सिंह ने लोकल 18 को बताया कि उनके खेतों की बाउंड्री में नीम, मेहंदी, नींबू और बांस जैसे पौधे लगे हैं. इससे खेत का लुक बेहतर हुआ है और बाहरी जानवरों से फसलों की सुरक्षा भी मिली है. साथ ही खरपतवार का प्रभाव भी कम हुआ है, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता बनी रहती है.

1. नीम: सुरक्षा भी, सेहत भी
खेत की मेड़ पर नीम लगाना किसानों के लिए बहुउपयोगी साबित हो रहा है. नीम न केवल प्राकृतिक कीटनाशक की तरह काम करता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाता है. इसके पत्ते जैविक खाद का अच्छा स्रोत हैं. नीम की मजबूत जड़ें सॉइल इरोशन रोकती हैं और लंबे समय तक यह प्राकृतिक बाड़ के रूप में कार्य करती हैं. सबसे बड़ी बात ये कि नीम के कारण फसलों पर रासायनिक दवाओं की निर्भरता कम हो जाती है, जिससे जैविक उत्पादन को बढ़ावा मिलता है. पैसे की बचत होती है.

2. बांस: तेजी से बढ़ने वाली मजबूत ढाल
बांस को खेत की बाउंड्री के लिए सबसे प्रभावी पौधों में गिना जाता है. इसकी घनी और मजबूत जड़ें मिट्टी को कसकर पकड़ती हैं जिससे भारी बारिश में भी मेड़ सुरक्षित रहती है. बांस दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले पौधों में से एक है और एक बार स्थापित होने के बाद कई वर्षों तक उपयोगी रहता है. यह प्राकृतिक बाढ़ अवरोधक की तरह भी काम करता है और साथ ही पक्षियों व छोटे जीवों के लिए आश्रय बनकर खेत की जैव विविधता को बढ़ाता है. बांस बेचकर आमदनी बढ़ा सकते हैं.

3. मेहंदी: कम निवेश, स्थायी कमाई
मेहंदी को खेत की मेड़ पर लगाने से प्राकृतिक हेज तैयार हो जाती है. यह कम पानी और कम रखरखाव में कई सालों तक चलने वाला विकल्प है. मेहंदी मिट्टी के कटाव को रोकती है, जल संरक्षण में मदद करती है और इसकी पत्तियों से नियमित आय भी मिलती है. अनुपजाऊ या कम उपयोग वाली जमीन का सही उपयोग कर किसान इससे दोहरा फायदा उठा सकते हैं.

4. नींबू और करौंदा: सुरक्षा के साथ व्यापार
नींबू के पौधे कांटेदार होने के कारण जानवरों से प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करते हैं. साथ ही 30–40 साल तक फल देने की क्षमता के चलते यह स्थायी आय का जरिया बन सकता है. वहीं करौंदा कम पानी और खराब जमीन में भी उग जाता है. इसकी घनी झाड़ियां नीलगाय और अन्य जंगली जानवरों को रोकने में कारगर हैं. करौंदे के फल से अचार, जेली और सिरप बनाकर किसान अतिरिक्त आमदनी कमा सकते हैं.

5. लेमनग्रास: खुशबूदार सुरक्षा कवच
लेमनग्रास यानी नींबू घास खेत की मेड़ पर लगाने से कई फायदे होते हैं.
यह मिट्टी का कटाव रोकती है, कीट-पतंगों को दूर रखती है और जंगली जानवरों को भी फसल से दूर करती है. कम लागत, कम पानी और खराब मिट्टी में उगने वाली यह घास तेल, चाय और चारे के रूप में किसानों को अतिरिक्त आय का मौका देती है.

मेड़ से मुनाफे की नई सोच
आज की खेती सिर्फ फसल उगाने तक सीमित नहीं रह गई है. खेत की मेड़ को सही पौधों से विकसित कर किसान उसे सुरक्षा कवच, आय का स्रोत और पर्यावरण संरक्षण का माध्यम बना सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में प्राकृतिक बाउंड्री खेती का अहम हिस्सा बनेगी जो कम लागत में ज़्यादा फायदा देने वाली साबित होगी.



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