जहां कभी वसूला जाता था टैक्स, आज वहां खिंचती हैं तस्वीरें, जानिए इंदौर के जाम गेट की दास्तान

जहां कभी वसूला जाता था टैक्स, आज वहां खिंचती हैं तस्वीरें, जानिए इंदौर के जाम गेट की दास्तान


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Indore Jam Gate: शहर की भागदौड़ से दूर, प्रकृति की गोद में छिपा है ऐतिहासिक ‘जाम गेट’, जो मालवा और निमाड़ के बीच प्रवेश द्वार है. यह भले ही आज एक पर्यटन स्थल बन चुका हो लेकिन एक समय में यह रणनीतिक और आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण था. घने जंगलों और घुमावदार घाटियों के बीच, यह गेट हमें उस दौर की याद दिलाता है जब हर यात्री को यहां रुककर शाही रियासत में प्रवेश की अनुमति लेनी होती थी.

शहर की भागदौड़ से दूर, प्रकृति की गोद में छिपा है ऐतिहासिक ‘जाम गेट’, जो मालवा और निमाड़ के बीच प्रवेश द्वार है. यह भले ही आज एक पर्यटन स्थल बन चुका हो लेकिन एक समय में यह रणनीतिक और आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण था. घने जंगलों और घुमावदार घाटियों के बीच, यह गेट हमें उस दौर की याद दिलाता है जब हर यात्री को यहां रुककर शाही रियासत में प्रवेश की अनुमति लेनी होती थी.

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जाम गेट इंदौर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इसकी रणनीतिक स्थिति इसे होल्कर रियासत के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से का प्रमुख सीमा चौकी बनाती है घने जंगल के बीच पू्र्ण रूप से पत्थर से बना यह गेट आज एक शानदार पर्यटन स्थल बन चुका है. आते जाते राहगीर भी यहां रुककर फोटो खींचना नहीं भूलते.

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इस ऐतिहासिक गेट का निर्माण होल्कर शासकों ने कराया था, संभवतः तुकोजीराव होल्कर द्वितीय एवं उनके उत्तराधिकारियों के काल में, ताकि निमाड़ क्षेत्र से आने वाले व्यापार और सैन्य आवाजाही को नियंत्रित किया जा सके. इस गेट के निर्माण का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और आने-जाने वाले माल पर टैक्स वसूलना था.

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जाम गेट को स्थानीय पत्थरों और चूने के गारे का उपयोग करके बनाया गया है, जो इसके टिकाऊपन का कारण है. गेट में ऊपर की ओर सुरक्षाकर्मियों के लिए छोटे-छोटे बुर्ज और संकरे झरोखे बने हैं, जहां से निगरानी की जा सकती थी. इसकी बनावट न केवल सुरक्षात्मक थी, बल्कि यह अपने आप में एक भव्य प्रवेश द्वार जैसा दिखता था, जो शाही राज्य का संदेश देता था.

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गेट की खासियत थी कि शाम ढलते ही, गेट को बंद कर दिया जाता था और सुबह होने पर ही इसे खोला जाता था. यह नियंत्रण सुनिश्चित करता था कि कोई भी बाहरी शत्रु या डाकू समूह रियासत में आसानी से प्रवेश न कर सके, जिससे भीतर रहने वाले नागरिक सुरक्षित महसूस करते थे. यहां होल्कर सेना के सैनिक तैनात रहते थे जो व्यापारियों के काफिलों को अंदर आने से पहले उनकी तलाशी लेते थे.

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निमाड़ से कपास और अन्य कृषि उपज मालवा के बाजारों तक पहुँचती थी, और यहीं पर उन पर शुल्क लगाया जाता था. जाम गेट से होने वाली राजस्व वसूली होल्कर राज्य की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान देती थी. जाम गेट‌ से आगे नीचे पहाड़ उतरते ही निमाड़ लग जाता है.

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बारिश के समय यहां अद्भुत नजारा दिखाई देता है. पिछले कुछ वर्षों से युवाओं के बीच यह आकर्षण का केंद्र रहा है गेट के आसपास की सतपुड़ा रेंज की घाटियां और हरियाली पर्यटकों को आकर्षित करती है. यह विशेष रूप से मानसून और सर्दियों के दौरान एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट बन जाता है. यहां से दूर-दूर तक फैली घाटियों का नज़ारा अद्भुत होता है.

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