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झारखंड क्रिकेट टीम ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी जीतकर इतिहास रच दिया है. इस जीत में बोकारों के प्रतिभाशाली ऑलराउंडर बालकृष्ण का अहम योगदान रहा है. बालकृष्ण ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया. वहीं फाइनल मुकाबले में तीन विकेट लेकर मैच जीत में अहम योगदान निभाया
हाल ही में झारखंड क्रिकेट टीम ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी जीतकर इतिहास रच दिया है इस ऐतिहासिक जीत में बोकारो के प्रतिभाशाली ऑलराउंडर बालकृष्ण का अहम योगदान रहा है. बालकृष्ण ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया. वहीं फाइनल मुकाबले में तीन विकेट लेकर अपनी प्रतिभा का बेहतरीन परिचय दिया है.
बोकारो लौटने के बाद लोकल 18 से खास बातचीत में बालकृष्ण ने कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि वे इस ऐतिहासिक जीत का हिस्सा बने. उन्होंने बताया कि टीम की कड़ी मेहनत और आपसी सपोर्ट की वजह से ही झारखंड को यह ऐतिहासिक सफलता मिली. वहीं अपने क्रिकेट की यात्रा को याद करते हुए बताया कि वह बीते 15 वर्षों से क्रिकेट खेल रहे हैं. उनका सपना एक दिन भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेले है.
हार्दिक पांड्या को करते है फॉलो
आगे बाला कृष्णा ने बताया कि वह ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज ब्रेट ली को वे अपना आदर्श मानते हैं, जबकि ऑलराउंडर में हार्दिक पांड्या और बेन स्टोक्स को काफी फॉलो करते हैं वहीं अपनी क्रिकेट जर्नी के दौरान महेंद्र सिंह धोनी से हुई खास मुलाकात को याद करते हुए बालकृष्ण ने कहा कि धोनी से मिलने के बाद उन्हें काफी आत्मविश्वास मिला और उन्होंने मैच के दौरान माइंडसेट मजबूत रखने के लिए कुछ अहम गुरु मंत्र भी दिए हैं. वहीं पारिवारिक पृष्ठभूमि कार्यक्रम में बताया की उनके पिता सतीश शर्मा बोकारो स्टील प्लांट में कॉन्ट्रैक्टर से जुड़ा काम करते हैं वहीं उनकी मां मीना शर्मा गृहणी है
फाइनल में बालकृष्ण ने झटके तीन विकेट
वहीं बाल कृष्ण ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है. जिन्होंने हर कदम पर उनका सपोर्ट किया इसके अलावा वह झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के सेक्रेटरी सौरभ तिवारी,और अन्य सदस्यों के साथ सभी क्रिकेट प्रेमियों को दिया हैवहीं अब उनका अगला लक्ष्य घरेलू क्रिकेट, आईपीएल और भारतीय क्रिकेट टीम में मिलने वाले हर अवसर पर बेहतर प्रदर्शन कर राज्य और बोकारो का नाम रोशन करना है. वहीं बालकृष्ण ने युवा क्रिकेटरों को सलाह देते हुए कहा कि अगर मेहनत और लगन के साथ ईमानदारी से काम किया जाए, तो एक दिन सफलता जरूर मिलती है.उनके कोच बचपन के क्रिकेट कोच आई.पी. सिंह ने बताया कि बाला कृष्ण शुरू से ही बेहद टैलेंटेड खिलाड़ी रहे हैं. वे तीसरी कक्षा में थे. जब क्रिकेट खेलने के लिए पहली बार उनके पास आए. बालकृष्ण में शुरू से ही गजब की प्रतिभा थी. इसी तरह मेहनत करते रहे, तो भविष्य में भी बड़ी सफलताएं हासिल करेंगे.वहीं बालकृष्ण के पिता सतीश शर्मा ने कहा कि उन्हें बेटे की इस उपलब्धि पर बेहद गर्व है और उम्मीद है कि आगे भी बालकृष्ण परिवार और देश का नाम रोशन करेंगे.