शिवपुरी जिले के पिछोर कस्बे में अगर किसी मिठाई और नाश्ते की सबसे ज्यादा चर्चा होती है, तो वह है राजू तिवारी की गुजिया और कचौड़ी. पुराने बाजार में स्थित तिवारी की छोटी-सी दुकान पिछोर के अलावा जिले भर में फेमस है. यहां सिर्फ एक ही काम होता है गुजिया, कचौड़ी और रसमलाई बनाना, और वो भी शुद्ध देसी तरीके से.
राजू तिवारी बताते हैं कि उनकी यह दुकान साल 1995 से चल रही है. शुरुआत में यह सिर्फ एक छोटी-सी कोशिश थी, लेकिन आज उनकी गुजिया की खुशबू दूर-दूर तक फैल चुकी है. लोग खास तौर पर राजू तिवारी के नाम से ही इस दुकान को जानते हैं. यहां पूरे दिन सामान तैयार होता रहता है, लेकिन दुकान शाम 5:30 बजे खुलती है और रात 8 बजे तक बंद हो जाती है. यानी रोज सिर्फ ढाई घंटे की दुकानदारी, लेकिन इसी दौरान 15 हजार रुपये से ज्यादा कि कमाई हो जाती है.
राजू तिवारी कहते हैं कि उनकी दुकान पूरी तरह निजी है और वह खुद अपने हाथों से गुजिया बनाते हैं. गुजिया बनाने के लिए वह सबसे पहले शुद्ध दूध लेते हैं, फिर घर पर ही उसे गर्म करके मावा तैयार करते हैं. इसके बाद उसमें बढ़िया किस्म के मेवे डाले जाते हैं. मावा तैयार होने के बाद गुजिया की फिलिंग खुद राजू तिवारी अपने हाथों से करते हैं. शायद यही वजह है कि उनकी गुजिया का स्वाद बाकी जगहों से बिल्कुल अलग और खास लगता है.
सिर्फ पिछोर या शिवपुरी ही नहीं, बल्कि राजू तिवारी की गुजिया और कचौड़ी की सप्लाई इंदौर और ग्वालियर में रोजाना होती है. मुंबई जैसे बड़े शहर में भी कभी-कभार उनकी गुजिया भेजी जाती है. कई लोग तो ऐसे भी हैं, जो 100 से 200 किलोमीटर दूर से खास तौर पर राजू तिवारी की गुजिया खाने पिछोर पहुंचते हैं.
अब बात करें कचौड़ी की, तो राजू तिवारी की कचौड़ी भी कम मशहूर नहीं है. वह बताते हैं कि कचौड़ी के लिए भी सारी तैयारी घर पर ही होती है. उनकी कचौड़ी का साइज काफी बड़ा होता है, जिस वजह से एक कचौड़ी खाने के बाद ही पेट भर जाता है. स्वाद ऐसा कि लोग बार-बार खाने चले आते हैं.
और रसमलाई की तो बात ही कुछ और है, राजू तिवारी की रसमलाई इतनी लाजवाब मानी जाती है कि जिले के एसपी, कलेक्टर और मजिस्ट्रेट साहब तक इसे पैक करवा कर घर मंगवाते हैं. मलाई नरम, मीठी और दूध का स्वाद ऐसा कि मुंह में जाते ही घुल जाए. तिवारी जी की दुकान इस बात की मिसाल है कि अगर काम ईमानदारी से और शुद्ध तरीके से किया जाए, तो नाम अपने आप बन जाता है.