लापता मासूम रितेश पाल, जिसे गायब हुए 50 दिन बीत गए हैं।
ग्वालियर के मोहनपुर गांव से 50 दिन पहले लापता हुए मासूम रितेश का अब तक कोई सुराग नहीं लग सका है। दोनों परिवार गिरगांव महादेव (मजिस्ट्रेट महादेव) पर कसम भी खा चुके हैं। महादेव की अदालत से बेगुनाह साबित होने के बाद परिवारों को उम्मीद थी कि पुलिस उन्हें
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हालांकि, दो दिन पहले पुलिस ने लापता रितेश के घर के पास रहने वाले पड़ोसी बल्ली यादव को पूछताछ के लिए उठाया। बताया गया कि वही युवक आखिरी बार मासूम को खाना खिलाता देखा गया था, जिसके बाद बच्चा संदिग्ध हालात में लापता हो गया। पूछताछ के बाद पुलिस ने बल्ली यादव को धौलपुर छोड़ दिया।
परिजन का आरोप है कि इसके बावजूद पुलिस उन्हें लगातार परेशान कर रही है। शुक्रवार को बच्चे की मां सपना और मामा राजू एसपी कार्यालय पहुंचे और पंचनामा सौंपते हुए कहा कि वे महादेव की अदालत में निर्दोष साबित हो चुके हैं, इसलिए अब पुलिस उन्हें परेशान न करे।
परिवार बोला- वह हमारी मदद कर रहा है
लापता मासूम रितेश पाल के मामा राजू पाल ने बताया कि मैंने अपनी अनुपस्थिति में बल्ली यादव को घर की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके बावजूद पुलिस उस पर शक कर रही है, जबकि उसका पूरे मामले से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि पुलिस आखिर कब तक उनसे पूछताछ करती रहेगी।
2 दिसंबर को मजिस्ट्रेट महादेव के सामने दोनों परिवारों ने धर्म उठाया यानी कसम खाई थी।
18 दिन पहले लगी थी महादेव की अदालत
लापता मासूम की मां सपना और पिता दलबीर पाल के परिवारों के बीच 2 दिसंबर को पंचायत में आरोप-प्रत्यारोप के बाद मजिस्ट्रेट महादेव की शपथ लेकर धर्म उठाया गया था। इस दौरान पंचनामा तैयार किया गया, जिसमें उल्लेख है कि मोहनपुर निवासी बघेल समाज की सपना का तीन वर्षीय बेटा रितेश घर के बाहर से लापता हुआ है। दस्तावेज में यह भी दर्ज है कि ससुराल पक्ष से पहले से मनमुटाव चल रहा था और इसी वजह से दोनों पक्ष एक-दूसरे पर बच्चे को गायब करने का संदेह जता रहे थे।
पंचनामा के अनुसार पहले सपना और फिर उसका पक्ष शपथ लेने वाला था। तय किया गया था कि तीन वर्षीय रितेश की कसम के दौरान यदि किसी भी पक्ष को नुकसान होता है, तो वही परिवार दोषी माना जाएगा। दोष सिद्ध होने पर 50 हजार रुपए या उससे अधिक का दंड निर्धारित किया गया था। धर्म की अवधि 2 दिसंबर से 6 दिसंबर शाम 5 बजे तक रखी गई थी। तय अवधि में किसी भी पक्ष को नुकसान न होने पर दोनों को निर्दोष मान लिया गया।
ऐसे समझिए पूरा मामला
ग्वालियर के मुरार मोहनपुर गांव में काली माता मंदिर के पास निवासी सपना पाल की शादी चंदन नगर निवासी दलवीर सिंह से हुई थी। दोनों के दो बेटे हैं। दोनों में अक्सर विवाद होता रहता था। यही कारण है कि छह माह से सपना पाल पति से अलग मोहनपुर में पिता रामवीर पाल के घर (मायके) में रह रही थी। बड़ा बेटा पति के पास है, जबकि छोटा बेटा तीन वर्षीय रितेश पाल, सपना के साथ था। सपना ने पति की शिकायत महिला थाना में की है।
सपना ने बताया कि शनिवार (1 नवंबर) दोपहर 12 बजे रितेश घर के आंगन में अन्य बच्चों के साथ खेलर रहा था। अन्य बच्चे कुछ देर बाद पास ही जंगल में बकरी लेकर चले गए, जबकि मासूम वहीं खेल रहा था। 30 मिनट बाद जब सपना बेटे को बुलाने पहुंची तो वह वहां नहीं था। परिजन ने अपने स्तर पर उसे तलाश किया, लेकिन वह कहीं नहीं मिला। इसके बाद शनिवार की शाम को परिजन मुरार थाना गए और सूचना दी। पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी, लेकिन 50 दिन बाद भी खाली हाथ है।
ग्वालियर एसएसपी धर्मवीर सिंह ने बताया-
बच्चे की तलाश में पुलिस की टीम लगातार लगी हुई हैं। जल्द पुलिस बच्चे को सकुशल वापस लाएगी।
