दतिया जिले के ग्राम ककरौआ में टीकाकरण के बाद शिशु की मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। शनिवार रात सामने आई प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हुआ है कि शिशु की मृत्यु टीकाकरण के कारण नहीं, बल्कि मिल्क एस्पिरेशन यानी दूध फेफड़ों में चले जाने से
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यह घटना 20 दिसंबर की है, जब 1 माह 25 दिन के शिशु पुष्पेंद्र की अचानक तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। घटना के बाद इलाके में टीकाकरण को लेकर आशंकाएं और सवाल उठने लगे थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और जांच शुरू की गई।
अन्य तीन शिशु पूरी तरह स्वस्थ
उसी टीकाकरण सत्र में शामिल अन्य तीन शिशुओं को एहतियातन जिला अस्पताल लाया गया था। विशेषज्ञ डॉक्टरों की जांच में तीनों बच्चे पूरी तरह स्वस्थ पाए गए। फिलहाल उन्हें निगरानी में रखा गया है।
मेडिकल पैनल ने किया पोस्टमार्टम
मृतक शिशु का पोस्टमार्टम तीन सदस्यीय मेडिकल पैनल द्वारा किया गया, जिसमें एक फॉरेंसिक विशेषज्ञ भी शामिल थे। पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई।प्रारंभिक रिपोर्ट में शिशु के फेफड़ों और श्वासनली में दूध पाए जाने की पुष्टि हुई, जिससे मिल्क एस्पिरेशन निमोनिया की स्थिति सामने आई।
चिकित्सकीय विशेषज्ञों के अनुसार, कई बार दूध पिलाने के तुरंत बाद शिशु को सुला देने से दूध सांस की नली में चला जाता है। इससे सांस लेने में दिक्कत और गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है।
वैक्सीन का कोई खराब असर नहीं हुआ
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिस वैक्सीन बैच का उपयोग इस सत्र में किया गया, वही जिले के अन्य क्षेत्रों में भी लगाया गया है। कहीं से भी किसी प्रकार की प्रतिकूल प्रतिक्रिया या अन्य घटना की सूचना नहीं मिली है। इससे साफ है कि शिशु की मौत का टीकाकरण से कोई सीधा संबंध नहीं है।
विभाग ने बताया कि विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद अंतिम निष्कर्ष सामने आएगा। एहतियात के तौर पर सभी टीका लगाने वाले कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं कि टीकाकरण से पहले बच्चों की स्वास्थ्य जांच पूरी सतर्कता से करें और बीमार बच्चों का पहले इलाज सुनिश्चित किया जाए।