खरगोन में 9 डिग्री से नीचे तामपान, हाइपोथर्मिया का बड़ा खतरा! स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी जारी, जानें बचाव

खरगोन में 9 डिग्री से नीचे तामपान, हाइपोथर्मिया का बड़ा खतरा! स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी जारी, जानें बचाव


Khargone News: उत्तर भारत की बर्फीली पहाड़ियों से आ रही ठंडी हवाओं ने खरगोन को पूरी तरह जकड़ लिया है. हालात ये हैं कि रात का तापमान 10 डिग्री से नीचे गिरकर 8 डिग्री के करीब पहुंच गया है. ठंड का असर इतना तेज है कि लोग दिन में भी अलाव, हीटर का सहारा लेने को मजबूर हैं. बढ़ती सर्दी अब सिर्फ परेशानी नहीं, बल्कि सेहत के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है. तेजी से गिरते तापमान के चलते जिले में हाइपोथर्मिया का जोखिम बढ़ गया है.

इसी को देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग ने शीतलहर को लेकर एडवाइजरी जारी कर दी है. शीतलहर का असर सबसे ज्यादा बच्चों ओर बुजुर्गों पर पड़ता है. मौसम विभाग के अनुसार, सोमवार को खरगोन में न्यूनतम तापमान 8.4 डिग्री दर्ज किया गया, जबकि दिन का तापमान 28 डिग्री के आसपास रहा. दिन-रात के तापमान में इस बड़े अंतर के कारण ठंडी हवाएं और तेज हो गई हैं. मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि शीतलहर का यह दौर जनवरी तक जारी रह सकता है, जिससे ठंड और ज्यादा बढ़ने की आशंका है.

बच्चों ओर बुजुर्गों का रखें खयाल
वहीं, ठंड बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है. सर्दी-खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ और जोड़ों के दर्द से परेशान लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. सबसे ज्यादा असर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों में देखने को मिल रहा है. इसके अलावा हृदय और श्वसन रोग से पीड़ित मरीजों के लिए यह मौसम बेहद खतरनाक माना जा रहा है.

शीतलहर से बचाव के उपाय
सीएमएचओ डॉ. डीएस चौहान एवं डॉ. स्वप्निल श्रीवास्तव ने बताया कि शीतलहर के दौरान लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हमेशा पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें और एक के ऊपर एक कई परतों में वस्त्र धारण करें. सिर, गर्दन, हाथ और पैरों को ढंकना बेहद जरूरी है. इसके लिए टोपी, मफलर, दस्ताने और मोज़ों का उपयोग करें. ठंडी जमीन से बचने के लिए जूते पहनें और गीले कपड़ों में बिल्कुल न रहें.

हाइपोथर्मिया के लक्षण
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि हाइपोथर्मिया एक गंभीर और आपात स्थिति है. इसके लक्षणों में तेज कंपकंपी, अत्यधिक थकान, भ्रम की स्थिति, बोलने में लड़खड़ाहट, ज्यादा नींद आना, हाथ-पैर की उंगलियों, कान और नाक में सुन्नता शामिल है. शिशुओं में त्वचा ठंडी और लाल हो सकती है तथा शरीर में ऊर्जा की कमी दिखती है. ऐसे लक्षण दिखते ही मरीज को तुरंत गर्म जगह पर ले जाकर सूखे कंबल से ढंकना चाहिए और बिना देर किए अस्पताल पहुंचाना चाहिए. बरहाल, स्वास्थ्य विभाग ने यह भी चेतावनी दी है कि अत्यधिक ठंड में खुले स्थानों पर ज्यादा समय न बिताएं, अनावश्यक यात्रा से बचें और ठंड से प्रभावित व्यक्ति को शराब या अन्य मादक पदार्थ न दें. शीतलहर के इस दौर में थोड़ी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है.



Source link