टीम इंडिया से ‘स्टार कल्चर’ हटाने की मुहिम फेल या पास?

टीम इंडिया से ‘स्टार कल्चर’ हटाने की मुहिम फेल या पास?


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स्टाक कल्चर का नया चेहरा बन रहे टी20 वर्ल्ड कप टीम से शुभमन गिल को बाहर किया जाना एक नई कहानी लिख रहा है. गिल शायद टीम के एकमात्र ऐसे बल्लेबाज़ थे जिन्हें सभी फॉर्मेट का पक्का खिलाड़ी माना जा रहा था. उन्हें भविष्य का ऑल-फॉर्मेट कप्तान भी समझा जा रहा था ऐसे में स्टार कल्चर के धुर विरोधी गंभीर- अगरकर की आंखों में कहीं वो खटकने तो नहीं लगे थे.

क्या स्टार कल्चर कीा वजह से शुभमन गिल को दिखाया गया बाहर का रास्ता या कहानी कुछ और ?

नई दिल्ली.  गौतम गंभीर–अजीत अगरकर की जोड़ी ने भारतीय क्रिकेट में स्टार कल्चर को खत्म करने का लक्ष्य लेकर काम शुरू किया था. पिछले एक साल की घटनाएँ इस बात की गवाही देती हैं कि वे अपने मिशन पर पूरी तरह कायम रहे हैं. सबसे पहले हमने कई बड़े और चर्चित रिटायरमेंट देखे, और ये सभी सुखद नहीं थे.  रोहित शर्मा, विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन जो भारत के लिए खेलने वाले महानतम खिलाड़ियों में शामिल हैंने 2024–25 में संन्यास लिया. इसके अलावा, चयनकर्ताओं ने सभी खिलाड़ियों के लिए घरेलू क्रिकेट खेलना अनिवार्य कर दिया. रोहितऔर कोहली भी जल्द ही घरेलू क्रिकेट खेलते नजर आएंगे, और यह पिछले एक साल में किए गए बदलावों का ही नतीजा है.

टी20 वर्ल्ड कप टीम से शुभमन गिल को बाहर किया जाना इसी सोच को और मजबूत करता है. गिल शायद टीम के एकमात्र ऐसे बल्लेबाज़ थे जिन्हें सभी फॉर्मेट का पक्का खिलाड़ी माना जा रहा था. उन्हें भविष्य का ऑल-फॉर्मेट कप्तान भी समझा जा रहा था और सूर्यकुमार यादव के कार्यकाल के बाद उन्हें जिम्मेदारी सौंपने की स्पष्ट योजना के तहत टी20 उपकप्तान बनाया गया था. एशिया कप के दौरान काफी चर्चा के बीच चयनकर्ताओं ने गिल को वापस टीम में लाया और अक्षर पटेल की जगह उपकप्तान नियुक्त किया.

स्टार कल्चर का शिकार  शुभमन!

हर मायने में शुभमन गिल को “चुना हुआ खिलाड़ी” माना जा रहा था. लेकिन पिछले तीन महीनों में उनके प्रदर्शन में निरंतरता नहीं रही और उनसे जिस स्तर की बल्लेबाज़ी की उम्मीद थी, वह देखने को नहीं मिली. ऐसे में चयनकर्ताओं और टीम मैनेजमेंट ने सबसे अहम टूर्नामेंट से पहले उन्हें बाहर करने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई. यह साफ दर्शाता है कि गंभीर और अगरकर भारतीय क्रिकेट में स्टार कल्चर खत्म करने की बात को सिर्फ कह नहीं रहे, बल्कि उस पर अमल भी कर रहे हैं.

प्रदर्शन पैमाना नहीं कोई बहाना 

यह फैसला आत्ममंथन और सच्चाई को स्वीकार करने की सोच को भी दिखाता है. एशिया कप से लेकर हाल ही में समाप्त दक्षिण अफ्रीका दौरे तक मैनेजमेंट और चयनकर्ताओं ने गिल का पूरा समर्थन किया. उन्होंने एशिया कप के हर मैच में खेला और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज़ में भी नियमित रूप से टीम का हिस्सा रहे. दुर्भाग्य से, वे मिले मौकों का पूरा फायदा नहीं उठा पाए. जब यह साफ हो गया कि गिल पर किया गया प्रयोग अपेक्षित परिणाम नहीं दे रहा है, तो चयन समिति ने वर्ल्ड कप से छह हफ्ते पहले उनसे आगे बढ़ने का फैसला कर लिया.

‘स्टार’रोहित विराट का पलटवार 

गंभीर और अगरकर स्टार कल्चर के मुद्दे पर सचमुच “वॉक द टॉक” कर रहे हैं.  इस मामले में उन्होंने सिर्फ टीम के उपकप्तान को ही नहीं, बल्कि भारत के टेस्ट कप्तान और वनडे कप्तान को भी बाहर रखा है. यहीं से ब्रांड बनते हैं और एक खास संस्कृति विकसित होती है. गिल को बाहर रखना चयनकर्ताओं के दृढ़ संकल्प और प्रदर्शन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का संकेत है, जो ताज़गी भरा है. खेल में सबसे अहम चीज़ प्रदर्शन होता है.  रोहित और कोहली के मामले में भी यही सच साबित हुआ. ऑस्ट्रेलिया में और हाल ही में खत्म हुई वनडे सीरीज़ में उनके प्रदर्शन ने सभी सवालों को खामोश कर दिया. कोहली ने लगातार दो शतक लगाए और प्लेयर ऑफ द सीरीज़ बने, जिसके बाद उन पर सवाल उठाने की कोई गुंजाइश नहीं बची.  यही बात रोहित पर भी लागू होती है लेकिन अगर आपको बार-बार मौके मिलने के बावजूद प्रदर्शन नहीं मिलता, तो आपको बाहर बैठना ही पड़ेगा.

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