ऋषि-मुनियों की भूमि से डिफेंस फैक्ट्रियों तक, जानते हैं MP के इस शहर का नाम?

ऋषि-मुनियों की भूमि से डिफेंस फैक्ट्रियों तक, जानते हैं MP के इस शहर का नाम?


Jabalpur News : आकाश निषाद, जबलपुर. मैं जबलपुर हूं, संस्कारों की नगरी हूं, जबालि ऋषि की भूमि हूं और नर्मदा की गोद में बैठा हूं… मेरी पहचान धर्मधानी और संस्कारधानी के रूप में है. जितना मैं सरल हूं, उतना ही कठिन भी. मैं दुश्मनों को उड़ाने का भी सामर्थ्य रखता हूं क्योंकि मेरे आंचल में मां नर्मदा भी है और दुश्मनों के छक्के उड़ाने का दम रखने वाली डिफेंस फैक्ट्रियां भी.

मेरी गोद में जीवन के सभी रंग हैं. मैं प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब हूं. जिसे देखने विदेशों से लोग आते हैं. मेरी इस गोद में कलचुरी कालीन मंदिर भी है, अंग्रेजों का भी पुराना इतिहास रहा है. ऋषि मुनियों से लेकर कवियों और महान पुरुषों की जन्म भूमि हूं. जबकि महान पुरुषों की कर्म भूमि भी हूं. इसीलिए समग्र चीजों से लबरेज… हां, मैं जबलपुर हूं….

10 वीं शताब्दी से शुरू हुआ जबलपुर शहर का इतिहास 

जबलपुर शहर का इतिहास बहुत पुराना और समृद्ध है. जबलपुर शहर मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता है. जहां शहर का नाम ऋषि जबालि के नाम पर रखा गया शहर का प्राचीन नाम त्रिपुरी भी था. जो कलिंजर वंश की राजधानी होती थी. जबलपुर का इतिहास दसवीं शताब्दी से शुरू होता है. जब यहां कलचुरी वंश का शासन था.

14 वीं शताब्दी में गोंड राजाओं की बनी राजधानी 

कलचुरी वंश के बाद जबलपुर शहर गोंड राजाओं के अधीन आया और 14वीं शताब्दी में यह चार गोंड राज्यों की राजधानी बना. 1781 में मराठों  के मुख्यालय के रूप में चुना गया और बाद में ब्रिटिश कमीशन का मुख्यालय बन गया. शहर के नजदीक में ही मां नर्मदा का तट है. शहर 52 ताल-तलैयों के नाम से जाना जाता है. जिसे वीरांगना रानी दुर्गावती ने बनवाया था.

ऐतिहासिक के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज शहर

जबलपुर शहर का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही यह शहर प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज़ है. जहां विश्व प्रसिद्ध धुआंधार वॉटरफॉल है, संगमरमर वादियों के बीच वोटिंग का भी अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. जहां मोहनजोदड़ो से लेकर डंकी जैसी कई मूवी शूट की जा चुकी है. रानी दुर्गावती का ऐतिहासिक किला, बरगी डैम से लेकर मिनी गोवा जैसा पायली शहर की पहचान है. शहर में प्राचीन काल त्रिपुर सुंदरी मंदिर से लेकर 64 योगिनी मंदिर भी है.

दुश्मनों के छक्के छुड़ाने डिफेंस फैक्ट्रियां भी मौजूद

शहर में अंग्रेजों ने डिफेंस फैक्ट्रियां भी बनवाई थी, जो आज भी मौजूद हैं. भारत-पाकिस्तान युद्ध हो या फिर भारत-चीन का युद्ध, इस दौरान जबलपुर शहर की चार डिफेंस फैक्ट्रियों ने अलग पहचान बनाई थी. जहां बम गोला-बारूद से लेकर तोप, व्हीकल की सप्लाई की जाती है. जबलपुर शहर अमृतलाल बैंगड, सेठ गोविंददास, द्वारका प्रसाद मिश्र, राममनोहर सिन्हा,  ब्यौहार राजेंद्र सिंह, शिवमंगल सिंह सुमन, विनोबा भावे, रघुवीर यादव और ओशो जैसी विभूतियों की जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है.



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