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Banana Sweets: बुरहानपुर में केले के रेशे से मिठाइयां और कलाकंद बनने लगे हैं, जो 5-6 दिन ताजी रहती हैं. 25,000 हेक्टेयर में केले की खेती वाले जिले में यह नवाचार किसानों की आय बढ़ा रहा है. जानें इसकी कीमत और खासियत….
Burhanpur Banana Sweets: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में केले की खेती का जलवा लंबे समय से कायम है, लेकिन अब किसान और उद्यमी केले के रेशे से मिठाइयां तैयार कर बाजार में नया रंग भर रहे हैं. यह नवाचार स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है. एक्सपर्ट शम्मी देवड़ा के अनुसार, पहले केले के रेशे से केवल झाड़ू, टोकरी और पारंपरिक सामान बनते थे, लेकिन अब इनसे स्वादिष्ट मिठाइयां तैयार हो रही हैं, जो 5-6 दिन तक खराब नहीं होतीं. यह खासियत इन्हें बाजार में लोकप्रिय बना रही है.
25000 हेक्टेयर में केले की खेती
बुरहानपुर जिला केले उत्पादन का केंद्र है, जहां 25,000 हेक्टेयर क्षेत्र में किसान केले की खेती करते हैं. यहां उगाए गए केले देश-विदेश के बाजारों में मिठास घोलते हैं. लेकिन, फसल के उप-उत्पादों का सदुपयोग करने के लिए स्थानीय उद्यमियों ने कमर कसी है. केले के तने से निकाले गए रेशों को विशेष प्रक्रिया से संसाधित कर मिठाइयां बनाई जा रही हैं.
600 रुपये किलो दाम
दुकान संचालक शम्मी देवड़ा ने बताया, “बुरहानपुर का केला विश्व प्रसिद्ध है. हमने इसमें नवाचार किया है. अब रेशे से मिठाइयां और कलाकंद तैयार कर रहे हैं. लोग इन्हें खूब पसंद कर रहे हैं. हम ₹600 प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं.” शम्मी ने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया सरल है, जिसे घर पर भी अपनाया जा सकता है. रेशों को सुखाकर, पीसकर और चीनी-दूध के साथ मिलाकर मिठाई बनाई जाती है.
यह प्रयोग केले की खेती को और लाभकारी बना रहा है. जिले में रेशों से न केवल मिठाइयां, बल्कि टोपियां, खिलौने और अन्य हस्तशिल्प भी तैयार हो रहे हैं. किसान संगठनों का मानना है कि इससे बर्बाद होने वाले केले के तने का उपयोग बढ़ेगा, जो पर्यावरण संरक्षण में मददगार साबित होगा. एक किसान ने बताया, “पहले रेशे बेकार फेंक दिए जाते थे, लेकिन अब इनसे आय हो रही है. मिठाइयां 4-5 दिनों तक ताजी रहती हैं, इसलिए दूर-दराज तक बिक्री संभव है.” कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रयास ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा और केले आधारित उद्योगों को नई दिशा देगा.
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