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Papaya Cultivation Tips: एमपी में नर्मदा के किनारे बड़े पैमाने पर पपीते की खेती की जा रही है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार अकेले खरगोन में लगभग 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पपीते की खेती हो रही है, जिससे किसानों को एक बार की मेहनत में सालभर आमदनी मिल रही है. जानें इस खेती के फायदे…
Papaya Cultivation: रबी सीजन में ज्यादातर किसान परंपरागत गेहूं, चना और मक्का की खेती करते आ रहे हैं. लेकिन, बढ़ती लागत और सीमित मुनाफे के कारण अब किसान वैकल्पिक खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में पपीता की बागवानी किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बनकर सामने आई है. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में कई किसान अब पारंपरिक फसलों के बजाय पपीते सहित अन्य फलों के बगीचे लगाकर बेहतर आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.
यही वजह है कि खरगोन अब सिर्फ अनाज उत्पादन ही नहीं, बल्कि बागवानी के लिए भी पहचान बनाने लगा है. नर्मदा नदी के किनारे बसे कसरावद सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर पपीते की खेती की जा रही है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले में लगभग 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पपीते की खेती हो रही है, जिससे किसानों को एक बार की मेहनत में सालभर आमदनी मिल रही है.
कितने साल तक पपीते का पेड़ देता है उत्पादन?
वहीं, विशेषज्ञों के अनुसार पपीता जल्दी फल देने वाली फसल है. बगीचा लगाने के 6 से 8 महीने में फल आना शुरू हो जाता है और सही देखभाल के साथ 2 से 3 साल तक लगातार उत्पादन लिया जा सकता है. यही कारण है कि सर्दियों का मौसम, खासकर नवंबर-दिसंबर का समय, पपीते की पौध लगाने के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है. खरगोन के उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. एसके त्यागी बताते हैं कि पपीते की खेती के लिए खरगोन की मिट्टी अनुकूल है. लेकिन, किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि खेत में पानी जमा नहीं हो पाए. नहीं तो जड़ों में सड़न की समस्या हो सकती है.
पपीता की कौन सी किस्म लगाएं?
पपीते की उन्नत किस्मों में रेड लेडी-76 का चयन बेहतर साबित हो सकता है. इसके अलावा पूसा ड्वार्फ, पूसा डिलिशियस और ताइवान किस्में भी अच्छी पैदावार देती हैं, लेकिन रेड लेडी बाजार मांग के लिहाज से सबसे अधिक पसंद की जाती है. पौधे 20 बाय 20 फीट की दूरी पर लगाने चाहिए. गड्ढे में सड़ी हुई गोबर खाद, नीम खली और थोड़ी मात्रा में सुपर फास्फेट मिलाने से पौधों की शुरुआती बढ़वार अच्छी होती है. सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम अपनाने से पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के अनुसार नमी मिलती रहती है. हवा और फल के वजन से पौधों को गिरने से बचाने के लिए बांस का सहारा देना जरूरी है.
पपीते से कितनी सालाना कमाई?
रोग और कीट प्रबंधन के लिए जैविक उपाय जैसे नीम आधारित दवाएं, ट्राइकोडर्मा और समय-समय पर खेत की सफाई काफी कारगर मानी जाती है. नियमित गुड़ाई, सूखी पत्तियों की कटाई और संतुलित खाद देने से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. लागत और मुनाफे की बात करें तो एक हेक्टेयर में पपीते की खेती पर लगभग 40 हजार रुपये का शुरुआती खर्च आता है. वहीं, एक पौधे से औसतन 50 किलो पपीता प्राप्त होता है. बाजार भाव सामान्य रहने पर किसान सालाना डेढ़ से दो लाख रुपये तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं. तुड़ाई के बाद पपीता स्थानीय मंडियों के अलावा इंदौर, भोपाल और अन्य राज्यों में भी भेजा जाता है.
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एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें