मांच से लोगों को संबोधित करते वक्ता।
टीकमगढ़ में पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी की स्मृति में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। राजेंद्र सागर बांध के पास हुई इस संगोष्ठी में कलेक्टर विवेक श्रोतिय, साहित्यकार और पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी के परिजन शामिल हुए। इस अवसर पर टीकमगढ़ के विकास में उनके
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कार्यक्रम में आगरा से आए पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी के प्रपौत्र निखिल दीक्षित ने एक महत्वपूर्ण घटना का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद, एक बार देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पंडित चतुर्वेदी को भोजन पर आमंत्रित किया था। भोजन के उपरांत, पंडित चतुर्वेदी ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद से दक्षिणा के रूप में टीकमगढ़ में सिंचाई के लिए एक बांध बनाने का आग्रह किया था।
इस आग्रह पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निर्देश पर राजेंद्र सागर नगदा बांध का निर्माण कराया गया। यह बांध लगभग 1000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है और आज भी फसलों की सिंचाई का प्रमुख साधन है।
13 अक्टूबर 1937 को ओरछा आए थे राजा
निखिल दीक्षित ने यह भी बताया कि पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी 13 अक्टूबर 1937 को ओरछा रियासत के तत्कालीन राजा महाराजा वीर सिंह जू देव के निमंत्रण पर टीकमगढ़ आए थे। उन्होंने कुंडेश्वर को अपनी कर्मस्थली बनाया और लगभग साढ़े चौदह वर्षों तक यहीं निवास किया।
बनारसी दास चतुर्वेदी के साथ कलेक्टर विवेक श्रोतिय और अन्य अतिथि।
संपादन और प्रकाशन भी किया
कलेक्टर विवेक श्रोतिय ने पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पंडित चतुर्वेदी ने टीकमगढ़ में रहते हुए 1940 से 1946 तक ‘मधुकर’ नामक पाक्षिक पत्रिका का संपादन और प्रकाशन किया। यह पत्रिका बुंदेलखंड को एक सांस्कृतिक इकाई के रूप में एकीकृत करने में सहायक रही।
कलेक्टर ने यह भी बताया कि बनारसी दास जी इंदौर के डेली कॉलेज में हिंदी के शिक्षक थे। उनके विद्यार्थी और टीकमगढ़ के साहित्य प्रेमी राजा वीर सिंह ने बाद में उन्हें टीकमगढ़ आमंत्रित किया था।
इस अवसर पर पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी के परिजनों ने कुछ मांगें भी रखीं। उन्होंने टीकमगढ़ में वीर सिंह जू देव हॉकी टूर्नामेंट को पुनः शुरू कराने और उन सभी स्थानों पर शिलालेख लगाने का आग्रह किया, जहाँ पंडित बनारसी दास जी का जुड़ाव रहा था।
इस मौके पर साहित्यकार रामस्वरूप दीक्षित, कौशल किशोर भट्ट, आरके पस्तोर, प्रदीप खरे, संजय शर्मा, विकास यादव, महेश गिरी सहित कला एवं संस्कृति से जुड़े लोग मौजूद रहे।