बांग्लादेश में हिंदू युवक दीप दास को सरेआम आग लगाए जाने और हिंदू परिवारों पर हो रहे कथित अत्याचारों को लेकर भोपाल में हिंदू उत्सव समिति और संस्कृति बचाओ मंच ने सवाल उठाए।
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चंद्रशेखर तिवारी ने सवाल किया कि जब इजराइल–गाजा जैसे मुद्दों पर भोपाल का इकबाल मैदान भर जाता है, तब बांग्लादेश में हिंदू को जिंदा जलाने पर वही लोग कहां गायब हो जाते हैं? उन्होंने कहा कि क्या मानवाधिकार और इंसानियत धर्म देखकर तय होती है?
समिति अध्यक्ष ने दलित राजनीति करने वाले नेताओं पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि यदि पीड़ित दलित हिंदू हो, तो कई नेताओं की आवाज अचानक बंद हो जाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह चुप्पी दलितों के नाम पर की जा रही राजनीति की असलियत को उजागर करती है।
‘तुष्टिकरण बंद नहीं हुआ तो राजनीति भी नहीं बचेगी’
चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि यदि कुछ राजनीतिक दल और नेता इसी तरह तुष्टिकरण की नीति पर चलते रहे, तो आने वाले समय में जनता उन्हें जवाब देगी। उन्होंने कहा कि समाज अब यह समझने लगा है कि कौन हर अत्याचार पर बोलता है और कौन चुनिंदा मामलों में ही संवेदनशील बनता है।
‘प्रधानमंत्री से सख्त रुख की मांग’
हिंदू उत्सव समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे कथित अत्याचारों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से उठाया जाए और बांग्लादेश सरकार पर कड़ा कूटनीतिक दबाव बनाया जाए, ताकि अल्पसंख्यक हिंदुओं की जान और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
‘धर्मगुरुओं की चुप्पी पर सवाल’
समिति ने मुस्लिम धर्मगुरुओं और संगठनों से भी सवाल करते हुए कहा कि जब किसी दूसरे देश में संघर्ष होता है, तब भारत में प्रदर्शन होते हैं, लेकिन बांग्लादेश में हिंदू को जला दिए जाने पर एक शब्द भी नहीं बोला जाता।
उन्होंने कहा कि यह चुप्पी केवल सवाल नहीं, बल्कि संदेह पैदा करती है। हिंदू उत्सव समिति ने स्पष्ट किया कि उसका विरोध किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि हिंसा, अत्याचार और दोहरे मापदंडों के खिलाफ है। संगठन ने कहा कि यदि हर अन्याय पर समान रूप से आवाज नहीं उठाई गई, तो सांप्रदायिक सौहार्द केवल एक खोखला नारा बनकर रह जाएगा।