स्वच्छता सर्वेक्षण की नई गाइडलाइन के तहत अब शहर के स्कूलों में जाकर स्टूडेंट्स को स्वच्छता का महत्व समझाएंगे। बच्चों को यह बताया जाएगा कि अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखना क्यों जरूरी है, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट क्या होता है, एक्यूआई क्या होता है और उसके न
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साथ ही छोटी-छोटी आदतों से कैसे स्वच्छता बनाई जा सकती है, इस अभियान की शुरुआत महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इंदौर के सांवेर रोड स्थित दिल्ली पब्लिक एलिमेंट्री स्कूल के स्टूडेंट्स के साथ स्वच्छता पर संवाद कर स्वयं कर दी है।
दरअसल नई गाइडलाइन जारी होने के बाद आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने निगम अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को निर्देश दिए थे कि स्वच्छता की शुरुआत स्कूली बच्चों से की जाए। इसी क्रम में महापौर ने सांवेर रोड स्थित दिल्ली पब्लिक एलिमेंट्री स्कूल पहुंचकर छात्र-छात्राओं से संवाद किया। इस दौरान स्टूडेंट्स ने स्वच्छता से जुड़े कई सवाल पूछे, जिनका महापौर ने सरल और रोचक तरीके से जवाब दिया।
महापौर ने दिए स्टूडेंट्स के सवालों के जवाब।
पब्लिक पार्टिसिपेशन बड़ी ताकत है महापौर ने कहा कि इंदौर की स्वच्छता के पीछे सबसे बड़ी ताकत पब्लिक पार्टिसिपेशन है, लेकिन इसमें भी सबसे अहम भूमिका स्कूल के बच्चों की है। स्वच्छ शहर बनाने में बच्चों की शक्ति को समझना है, क्योंकि बच्चे बड़ों के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
इंदौर इसका जीवंत उदाहरण है, जहां बच्चों के आह्वान से शुरू हुआ बदलाव आज लोगों की आदत बन चुका है। स्वच्छता सर्वेक्षण की यह नई गाइडलाइन अब देशभर के उन सभी शहरों में लागू हो गई है, जो सर्वेक्षण में शामिल हैं। इसके तहत स्कूली बच्चे स्वच्छता का संदेश लेकर घर-घर और शहर-शहर तक पहुंचेंगे और स्वच्छ भारत अभियान को नई ऊर्जा देंगे।