इतिहास को जिंदा रखने का जुनून, सतना के राजेंद्र अग्रवाल के पास अनमोल खजाना

इतिहास को जिंदा रखने का जुनून, सतना के राजेंद्र अग्रवाल के पास अनमोल खजाना


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Satna News: उनके कलेक्शन की एक और खास बात 8 नवंबर 2016 को बंद हुई पुरानी करेंसी है. एक किलो 100 ग्राम नोट यानी कुल कीमत करीब 8 लाख रुपये को उन्होंने RBI से वापस मंगवा लिया.

सतना. इतिहास की धरोहरें अक्सर संग्रहालयों की शोभा बढ़ाती हैं लेकिन सतना में एक ऐसा शख्स है, जिसने अपने घर को ही इतिहास का जीवंत दस्तावेज बना दिया है. पिछले 45 वर्षों से डाक टिकट, पुराने नोट, सिक्के और दुर्लभ पुरातात्विक वस्तुओं को सहेजने वाले राजेंद्र अग्रवाल उर्फ शशि ने यह साबित कर दिया कि इतिहास से प्रेम अगर सच्चा हो, तो वह जीवन का उद्देश्य बन जाता है. उनका यह जुनून सिर्फ शौक नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और विरासत को बचाने की एक सतत कोशिश है, जिसने उन्हें 2024 में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड तक पहुंचा दिया. राजेंद्र अग्रवाल लोकल 18 को बताते हैं कि उन्हें यह लगाव अपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिता से मिला, जब एक बार उन्होंने अपने पिता को इतिहास से जुड़ी चीजों में रुचि लेते देखा. एक बार जब उनके पिता हिसार स्थित अग्रोहा अग्रवाल समाज की जन्मभूमि गए थे, तो वहां से मिट्टी के बर्तन और कुछ प्राचीन सिक्के लेकर आए थे. यही क्षण राजेंद्र के जीवन की दिशा तय करने वाला साबित हुआ. पिता की वही रुचि बेटे के भीतर जिज्ञासा बनी और धीरे-धीरे संग्रह का यह सफर शुरू हुआ.

राजेंद्र अग्रवाल के पास आज ब्रिटिश काल, मुगल काल और अन्य राजा-महाराजाओं के दौर के 80 किलो से अधिक पुराने नोट और सिक्के उपलब्ध हैं. इनमें सबसे खास है 150 ईसा पूर्व का अग्रोहा राज्य का दुर्लभ सिक्का, जिसकी उम्र लगभग 2150 साल है. यह सिक्का उन्हें वर्षों पहले बॉम्बे में रहने वाले एक मित्र से उपहार में मिला था. इसके अलावा उनके संग्रह में हजारों प्रकार के डाक टिकट, पुराने कागजी नोट, सिक्के और मिट्टी से जुड़े दुर्लभ नमूने शामिल हैं.

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम
राजेंद्र का नाम वर्ष 2024 में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हुआ. इसका कारण है ब्रिटिश इंडिया के छपे 90 प्रकार के क्वार्टर आना नोट थे, जिन्हें उन्होंने बेहद सिस्टेमेटिक और सुरक्षित तरीके से संरक्षित किया है. यह संग्रह न सिर्फ दुर्लभ है बल्कि इतिहास के एक पूरे दौर को समझने का जरिया भी है.

नोटबंदी के नोट भी बने संग्रह का हिस्सा
उनके संग्रह की एक और खास बात 8 नवंबर 2016 को बंद हुए पुराने नोट हैं. करीब एक किलो 100 ग्राम नोट यानी कुल कीमत लगभग 8 लाख रुपये को उन्होंने आरबीआई से वापस मंगवा लिया. आरबीआई ने इन नोटों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उन्हें संग्रह के उद्देश्य से गिफ्ट किया, जो आज उनके कलेक्शन का अहम हिस्सा है.

सम्मान और सराहना का सिलसिला
राजेंद्र अग्रवाल की इस पहल की सराहना कई स्तरों पर हुई है. हाल ही में रीवा के राजा द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया था. वहीं लोकल 18 से बातचीत में सतना के विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा ने उनके संग्रह को सतना की पहचान बताया. विधायक ने कहा कि वह लंबे समय से इस संग्रह को देख रहे हैं. राजेंद्र अग्रवाल ने उन्हें उनकी जन्मतिथि वाला नोट भी उपहार में दिया था. शशि का जीवन यह संदेश देता है कि इतिहास किताबों तक सीमित नहीं बल्कि उसे सहेजने वाले हाथों से जिंदा रहता है. उनका संग्रह आने वाली पीढ़ियों के लिए भारतीय संस्कृति की एक अमूल्य विरासत है, जो यह साबित करता है कि जुनून और समर्पण से एक व्यक्ति भी इतिहास को संजो सकता है.

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Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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