खंडवा के घंटाघर के पास दोपहर होते ही एक अनूठी भीड़ जमा हो जाती है. कोई पास से आकर कहता है, “एक बटर शेजवान देना,” तो कोई पुनः ज़ोर से पुकारता है, “भैया जल्दी करो, वेटिंग बहुत लम्बी हो रही है.” यह भीड़ किसी बड़े चैन रेस्टोरेंट की नहीं, बल्कि 12वीं पास सौरभ सैनी की छोटी सी स्टॉल की है, जिसने ‘निमाड़ी फ्यूजन दाबेली’ से शहर में तहलका मचा रखा है.
सौरभ पिछले दस वर्षों से यह स्टॉल चला रहे हैं. उनका पारिवारिक कारोबार कैटरिंग का था, लेकिन उन्होंने कुछ अलग करना चाहा. “गुजरात की मीठी दाबेली हर जगह मिलती है,” वे कहते हैं कि मैंने सोचा, क्यों न उसमें निमाड़ की खट्टा-चटपटा स्वाद मिला कर कुछ नया पेश किया जाए?” इस सोच ने जन्म दिया ‘निमाड़ी दाबेली’ को.
हाथों का स्वाद
सौरभ का कहना है कि उनकी दाबेली का हर मसाला हाथ से तैयार होता है इमली की चटनी, टेचा, शेजवान चटनी, हरी चटनी, केचप हर चीज़ घर पर बनाई जाती है. ऊपर से मूंगफली, प्याज़ और सेहूं का तड़का इसे स्पेशल बनाता है. इस तड़के में मिलता है तीखापन, मिठास और खट्टापन हर बाइट में एक जीवा झंकार.
स्टॉल खुलता है दोपहर 2 बजे से लेकर रात 10 बजे तक, और रोजाना तकरीबन 500 से 600 दाबेली बिक जाती हैं. “ग्राहक खड़े होकर इंतज़ार करते हैं, कई बार नंबर लेकर आते हैं,” सौरभ बताते हैं. कभी-कभी सुबह 8 बजे तक उनका स्टॉक ही खत्म हो जाता है.
उनके यहां निम्नलिखित फ्लेवर मिलते हैं:
शेजवान दाबेली
मेयोनीज़ फ्लेवर
बेक समोसा एक और आकर्षण
सिर्फ दाबेली ही नहीं, सौरभ अपने स्टॉल पर बेक समोसे भी तैयार करते हैं. ये समोसे बेकरी से तो आते हैं, लेकिन स्वादनुसार मसालों और तैयारियों में बदलाव कर वे उन्हें नए टेस्ट में ढाल देते हैं.
सौरभ ने पढ़ाई 12वीं तक की, लेकिन परिवार की हलवाई परंपरा को आधुनिक टेस्ट में बदलने का जुनून उन्हें यहां ले आया. “पढ़ाई के बाद मुझे यही काम सही लगा क्योंकि मेरा इंटरेस्ट यहीं था,” वे कहते हैं. लोकोक्तिपूर्ण मेहनत, जुनून और परिवारिक विरासत को नए स्वाद के साथ प्रस्तुत करना ही उनकी कामयाबी की कुंजी है.
स्थानीय युवा की सफलता
आज जब बड़े-बड़े फूड ब्रांड शहरों में राज कर रहे हैं, तब भी खंडवा के दिल में युवा सौरभ अपने स्वाद और मेहनत से लोगों का दिल जीतते दिखते हैं. निमाड़ की खुशबू, मसालों का मिश्रण और उनका फ्यूजन इनके कारण उनकी दाबेली खंडवा भर में चर्चा का विषय बनी हुई है.