हैदराबाद से मध्यप्रदेश के जबलपुर लाए गए 57 घोड़ों में से 11 घोड़ों की अभी तक मौत हो चुकी है। लेकिन आज तक ना ही जिला प्रशासन और ना ही पशु चिकित्सा विभाग इसकी ठोस वजह बता पाया है। इस मामले में मप्र हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई ह
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हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बैंच ने जबलपुर कलेक्टर को निर्देशित किया है, कि जबलपुर में इलाजरत घोड़ों की मेडिकल रिपोर्ट, इलाज को लेकर अभी तक क्या किया गया है और उनकी मौत कैसे हुई इसकी जानकारी अगली सुनवाई में हलफनामे के साथ पेश करे। मामले पर अगली सुनवाई अब 25 जून को होगी।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को हुई सुनवाई के बाद जबलपुर कलेक्टर को आदेश दिए है कि, घोड़ों के केयरटेकर सचिन तिवारी का ट्रैक रिकॉर्ड तथा घोड़ों को उपलब्ध कराए जा रहे इलाज तथा उनके खाने-पीने से संबंधित रिपोर्ट पेश करे। हाईकोर्ट ने केयरटेकर सचिन तिवारी को निर्देशित किया है कि जबलपुर लाए गए घोड़ों की संख्या तथा उद्देश्य के संबंध में जानकारी हलफनामे में पेश करें। इसके अलावा घोड़ों के रजिस्ट्रेशन तथा मेडिकल संबंधित दस्तावेज भी पेश करें।
घोड़ों की मौत के मामले में दायर याचिका में प्रमुख सचिव पशुपालन विभाग, कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक जबलपुर, थाना प्रभारी पनागर, राज्य पशु कल्याण बोर्ड पशुपालन एवं डेयरी फार्मिंग विभाग, निदेशक पशुपालन एवं डेयरी फार्मिंग विभाग, पशु प्रकोप नियंत्रण उप निदेशक पशु चिकित्सा महाविद्यालय, जिला पशु चिकित्सा अधिकारी पशुपालन एवं डेयरी फार्मिंग विभाग, सचिन तिवारी, सुरेश पलाडागू एचपीएसएल स्पोर्ट्स लीजर प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स हिट नेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को पार्टी बनाया गया था। एक्टिंग चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने इन सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से वकील उमेश त्रिपाठी ने पैरवी की।