Sagar News: अपनी बेटी की जंग ने सिखाया दूसरों की मदद करना, अब जन्मजात बीमार बच्चों के लिए काम कर रहे अभिषेक और शिल्पी

Sagar News: अपनी बेटी की जंग ने सिखाया दूसरों की मदद करना, अब जन्मजात बीमार बच्चों के लिए काम कर रहे अभिषेक और शिल्पी


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वेदिका फाउंडेशन द्वारा दो तरह से काम किया जाता है, जिसमें एक तो सही मार्गदर्शन दिया जाता है. साथ ही वॉलेंटियर उपलब्ध कराते हैं और सरकार की योजनाओं के बारे में बताते हैं.

सागर: जन्मजात हृदय रोगी बच्चों के नि:शुल्क इलाज कराने और उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने सागर के समाजसेवी अभिषेक भार्गव और उनकी पत्नी शिल्पी भार्गव ने वेदिका फाउंडेशन की नींव रखी. ये फाउंडेशन उन बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए समर्पित है, जिन्हें जन्मजात हृदय की गंभीर बीमारियां हैं और आर्थिक तंगी और जानकारी के अभाव में इलाज नहीं करा पा रहे हैं. इसमें दो तरह से काम किया जाता है, जिसमें एक तो सही मार्गदर्शन दिया जाता है. साथ ही हम वॉलेंटियर उपलब्ध कराते हैं और दूसरा सरकार की योजनाओं के बारे में बताते हैं. साथ ही जिनको सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता उनके इलाज का खर्चा अभिषेक और उनकी पत्नी शिल्पी मिलकर उठाते हैं.

शिल्पी भार्गव बताती हैं कि कभी-कभी आपके जीवन का सबसे बड़ा दर्द आपके जीवन का असल उद्देश्य निर्धारित करने में सबसे बड़ा सहयोगी सिद्ध होता है. मेरे भी जीवन में पिछले कुछ सालों में ऐसा ही कुछ घटित हुआ है. 2021 में दो जुड़वा बच्चे, एक बेटा और एक बेटी के रूप में मेरे परिवार में आए थे. जन्म के अगले ही दिन अस्पताल में डॉक्टरों ने मेरी बिटिया के जन्मजात हृदय रोग के विषय में बताया और कहा कि इसका इलाज संभव नहीं है. संभवतः यह बच्चा कुछ दिन ही जीवित रह पाएगा, इसका इलाज भी पूर्णतः संभव नहीं है. परंतु मैंने हार नहीं मानी. अपने माध्यम से ही बेटी के इलाज के लिए डॉक्टरों से संपर्क करती रही. लगभग एक साल की उम्र में दिल्ली में बिटिया का ऑपरेशन हुआ. इलाज के दौरान अस्पताल में एक महीने तक लगातार आना-जाना हुआ, तो मैंने देखा कि सिर्फ मैं ही नहीं, मेरे जैसे न जाने कितने माता-पिता अपने छोटे-छोटे बच्चों का अस्पताल में इलाज करा रहे थे.

पीड़ित बच्चों को मिल रहा नि:शुल्क इलाज

शिल्पी ने बताया कि इसके बाद क्षेत्र में भी मैंने देखा कि कई परिजन अपने छोटे-छोटे बच्चों का इलाज नहीं करवा पा रहे हैं. जिसका सबसे बड़ा कारण जानकारी का अभाव है और दूसरा आर्थिक तंगी. इन दोनों कारणों के चलते ही परिवार अपने नन्हें-मुन्ने बच्चों को अपनी आंखों के सामने दम तोड़ते हुए देखता है. जब मैंने यह पीड़ा स्वयं महसूस की, तब मन में एक विचार आया कि क्यों न एक ऐसी संस्था का निर्माण किया जाए, जिसमें इन नन्हें मुन्ने बच्चों को इलाज की नि:शुल्क व्यवस्था कर सकें. परिवार के लिए उचित सलाह और मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं.

हेल्पलाइन नंबर जारी किया

इस फाउंडेशन का नाम शिल्पी भार्गव ने अपनी बिटिया के नाम पर रखा है. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने स्तर पर ऐसे बच्चों को चिन्हित करके हमसे संपर्क करके उन बच्चों का सहयोग कर सकता है. हेल्पलाइन नंबर 9407438582 पर संपर्क किया जा सकता है. हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद कर सकें.

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जन्मजात बीमार बच्चों के लिए काम कर रही पति-पत्नी की जोड़ी



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