डॉक्टर डे पर डॉक्टर्स का सम्मान किया गया।
पांढुर्णा के डॉक्टर्स ने कोरोना महामारी के दौरान के अपने अनुभव मंगलवार को “डॉक्टर डे” साझा किए हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि आज भी कोरोना का नाम सुनकर वे सहम जाते हैं।
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एमडी मेडिसिन डॉक्टर विनीत श्रीवास्तव ने बताया कि पांढुर्णा जैसी छोटी जगह में मरीजों का इलाज करना चुनौतीपूर्ण था। प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था कर मरीजों की जान बचाई गई।
कोरोनाकाल में घर जाने में डर लगता था
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर निलेश धाड़से ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार में कोरोना से जूझते दो सदस्यों को देखा। सिविल अस्पताल में मरीजों का इलाज करने के बाद घर जाने में डर लगता था। आज भी वह दृश्य याद आते हैं।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मिलिंद गजभिए ने कहा कि महामारी के दौरान उन्होंने मरीजों को मरते देखा। उनकी प्रार्थना है कि ऐसा समय दोबारा न आए।
डॉक्टर बोले- इलाज करते हुए मेरे पिता की मौत हुई
एमबीबीएस डॉक्टर नितिन उपाध्याय ने बताया कि कोरोना काल में मरीजों का इलाज करते हुए उनके पिता की मृत्यु हो गई। पूरा परिवार सदमे में था। हालांकि इस दौरान स्वास्थ्यकर्मियों का भरपूर सहयोग मिला।
मंगलवार को पांढुर्णा प्रेस क्लब के मीडिया कर्मियों ने पांढुर्णा सिविल अस्पताल के होनहार डॉक्टर्स का सम्मान किया।