उज्जैन आकर ‘दाल बिस्किट’ न खाया तो क्या खाया, जानें कैसे हुई शुरुआत?

उज्जैन आकर ‘दाल बिस्किट’ न खाया तो क्या खाया, जानें कैसे हुई शुरुआत?


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Ujjain Food News: श्रीकृष्ण भोजनालय की चर्चा इतनी है कि यहां के दाल बिस्किट के दीवाने आम से लेकर खास तक हैं. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और एमपी की पूर्व सीएम उमा भारती भी इसका स्वाद चख चुकी हैं.

उज्जैन. मध्य प्रदेश में स्थित धार्मिक नगरी उज्जैन करोड़ों लोगों के दिलों में बसी हुई है. यहां आराध्य के रूप में स्वयं भगवान महाकाल पूजे जाते हैं. माना जाता है कि यहां कण-कण में शिव का वास है. हर रोज लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां आते हैं. वे यहां भक्ति में सराबोर होने के साथ-साथ स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ भी उठाते हैं. यहां कई ऐसी स्पेशल डिश हैं, जो देश में चुनिंदा जगह ही मिलती हैं. ऐसे ही एक स्वादिष्ट जायके की बात करें, तो यह उज्जैन शहर से 51 किलोमीटर दूर बड़नगर में है. 30 साल से इस जायके ने सबको अपना मुरीद बनाया हुआ है. दूर-दूर से लोग इसे खाने आते हैं. इस डिश का नाम दाल बिस्किट (टिक्कड़) है. श्रीकृष्ण भोजनालय पर मिलने वाले दाल बिस्किट का स्वाद ऐसा है कि जिसने एक बार खाया, वो इसका दीवाना हो गया.

1993 में श्रीकृष्ण भोजनालय एक छोटी सी दुकान हुआ करती थी. बड़नगर बस स्टैंड के पास इस भोजनालय की शुरुआत जगदीश यादव ने उस समय की थी, जब उनके एक राजस्थानी कर्मचारी ने उन्हें दाल बिस्किट बनाने की सलाह दी थी. यादव परिवार का मुख्य व्यवसाय तब दूध बेचना था. वह कुछ बिजनेस का प्लान कर रहे थे कि तभी कर्मचारी ने उनसे कहा कि हमारे यहां का दाल टिक्कड़ फेमस है. इसके बाद यादव परिवार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

आम से लेकर खास तक दीवाने
इस दुकान की चर्चा इतनी है कि इसके दीवाने आम से लेकर खास तक हैं. इनके दाल बिस्किट का स्वाद केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और एमपी की पूर्व सीएम उमा भारती ने भी चखा है. बड़नगर में दाल बिस्किट की चार दुकानें हैं लेकिन भीड़ तो श्रीकृष्ण भोजनालय में ही उमड़ती है.

कैसे बनती है दाल बिस्किट?
इस फेमस डिश की रेसिपी की बात करें, तो होटल संचालक सोनू यादव लोकल 18 को बताते हैं कि गेहूं के आटे में शुद्ध घी का मोयन डालकर आटे को गूंथ लोई तैयार की जाती है. इसको एक बड़े तवे पर 20 मिनट तक सेंका जाता है. इसके बाद उसे कोयले की भट्टी में कड़क होने तक सेंका जाता है. बिस्किट की तरह जब लोई कड़क हो जाती है, तो उसे शुद्ध देसी घी में चूरकर ग्राहक की थाली में दाल के साथ परोसा जाता है. इसे राजस्थान और मालवा के लोग टिक्कड़ भी कहते हैं.

ग्राहक जमकर करते हैं तारीफ
दुकान पहुंचे एक ग्राहक ने कहा कि यहां पर बहुत स्वादिष्ट दाल बिस्किट मिलते हैं. ऐसा टेस्ट किसी भी दुकान पर नहीं है, इसलिए जब भी मन करता है, यहां दाल बिस्किट के जायके का मजा लेने आ जाते हैं. बड़नगर निवासी ग्राहक हुकुमचंद गहलोत ने कहा कि स्वाद के शौकीन बड़नगर में दाल बिस्किट खाने आते हैं. उन्होंने उमा भारती समेत कई हस्तियों को दाल बिस्किट खाते हुए देखा है. दुकान की खासियत है कि इसके मालिक वही पुराने स्वाद, साफ-सफाई और क्वालिटी के साथ-साथ क्वांटिटी का भी ध्यान रखते हैं.

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