इस कहावत का इस्तेमाल खासतौर पर तब होता है, जब कोई बिन बुलाए मेहमान यानी अचानक टपकने वाला सरप्राइज विजिटर दरवाजे पर आ धमकता है. अब गांव में शादी हो रही हो या घर में किसी की तबीयत खराब हो और सामने वाले के चेहरे पर हवाइयां उड़ती दिखें, तो समझ जाओ कि कुतरी उतर गई है. इस कहावत की जड़ तो बड़ी मजेदार है. दरअसल पुराने जमाने में जब खेतों में कुतरी (जंगली बिल्ली) घुस आती थी, तो वो चुपके से बैठ जाती थी और बिना पूछे दाना चुगने लगती थी. तब किसान कहते थे,’हट हट कुतरी, यहां कहां उतरी’ यानी भैया तू आई काहे, किसने बुलाया तुझे.
इस कहावत में सिर्फ शब्द नहीं हैं, ये तो निमाड़ी जनजीवन का हंसी-ठिठोली वाला आईना है. यहां हर बात में चुटकी है और हर ताने में अपनापन. तो अगली बार कोई बिन बताए आपके घर घुस आए, चाय मांग ले, खाना खा ले और चलते समय बोले कि अब चलता हूं, तो मन में ही सही, पर कह दीजिए, ‘हट हट कुतरी, यहां कहां उतरी’