Last Updated:
Dhan Ki Kheti: धान की फसल को बर्बाद कर देने वाला कंडुआ रोग किसानों के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है. यह रोग धान की बालियों को प्रभावित कर उपज घटा देता है. जानें उपाय…
हाइलाइट्स
- धान की फसल को कंडुआ रोग से बचाएं बीज उपचार से
- धान की पौध की ट्रांसप्लांटिंग में सावधानी बरतें
- फसल चक्र अपनाएं और पुराने अवशेष न छोड़ें
समय रहते रोक लो, नहीं तो…
कंडुआ रोग को समय रहते रोका न जाए तो पूरा खेत बर्बाद हो सकता है. ऐसे में कृषि विभाग ने किसानों को बीज उपचार की सख्त सलाह दी है. सहायक संचालक कृषि राम सिंह बागरी ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि यह रोग बालियों में एक्सिस ग्रोथ कर देता है जिससे दाने की जगह फफूंदनुमा पीले-मटमैले गोले उभर आते हैं और पूरी बाली बर्बाद हो जाती है. यह रोग खेत में जगह-जगह फैलकर पूरे उत्पादन को प्रभावित करता है.
बचाव के लिए बुवाई से पहले बीज को 0.2% कैप्टन या 0.1% कार्बेन्डाजिम घोल में कम से कम 30 मिनट तक भिगोना चाहिए. फिर उन्हें छाया में सुखाकर उपयोग में लाना चाहिए. इसके अलावा जब धान की पौध 30 दिन बाद ट्रांसप्लांटिंग के लिए तैयार हो तब किसानों को पौध की जड़ों को कार्बेन्डाजिम घोल में डुबोकर ही खेत में लगाना चाहिए. साथ ही फसल चक्र अपनाएं और पुराने संक्रमित अवशेष खेत में न छोड़ें. यह प्रक्रिया अपनाकर किसान न केवल कंडुआ रोग से बच सकते हैं, बल्कि अन्य कवकजन्य बीमारियों से भी अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं.
बढ़ेगी उपज
कृषि एक्सपर्ट का मानना है कि अगर ऐसे फसल की बुवाई की जाएगी तो यकीनन धान का उत्पादन तेजी से बढ़ेगा. साथ ही ये रोग भी नहीं लगेगा. अन्य कीड़े-मकोड़े भी फसल से दूर रहेंगे.