कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू हो चुकी है, जो कि भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के अधीन है। यात्रा करने वाले लोगों का सिलेक्शन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के बाद लॉटरी के जरिए होता हैं। आज 4 जुलाई को एक जत्था दिल्ली से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए निकालने वाला ह
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खंडवा से कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले महेंद्र प्रतापसिंह सावले और उनकी धर्मपत्नी इंदु सावले शहर के लवकुश नगर निवासी हैं। वे मूल रूप से ग्राम जावर के रहने वाले हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में कैलाश यात्री महेंद्र प्रतापसिंह सावले ने बताया कि उनके परिवार और रिश्तेदारी में इस यात्रा के लिए जाने वाले वह पहले दंपती हैं।
उनके एक मित्र ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था और बाद में उन्हें भी सलाह दी। जिसके बाद उन्होंने आखिरी दिन रजिस्ट्रेशन कराया। खास बात यह रही कि, लॉटरी खुली तो उस दोस्त का नाम नहीं आया और उनका नाम आ गया।
22 दिन की होती है यात्रा, 25 को वापसी होगी
सावले के मुताबिक, कैलाश मानसरोवर की यात्रा 22 दिन की होती है। इस यात्रा के लिए दो रास्ते है, एक लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और दूसरा नाथू ला दर्रा (सिक्किम) हैं। उनकी यात्रा 4 जुलाई को उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा से शुरू होगी। जो कि 25 जुलाई को समापन के बाद खंडवा के लिए वापसी होगी।
रिटायर्ड अफसर है सावले, पूर्व में भी यात्राएं कर चुके
एमपीईबी से सहायक अभियंता के पद पर रिटायर्ड हुए महेंद्र प्रतापसिंह सावले वर्तमान में समाजसेवी में अग्रणी हैं। वे राजपूत समाज मांगलिक परिसर निर्माण समिति के अध्यक्ष हैं। बुजुर्ग अवस्था में कैलाश मानसरोवर जैसी यात्रा के लिए चुनौती उठाने के बारे में उन्होंने बताया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा उनके लिए पहली हैं।
लेकिन, इससे पहले वह धर्मपत्नी इंदु सावले के साथ चारधाम, बारह ज्योतिर्लिंग,अष्टविनायक दर्शन, नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन और अमरनाथ यात्रा तक कर चुके हैं। बेटे भानुप्रताप ने बताया कि, पिता का धर्म से इतना जुड़ाव है कि, वे 2022 में नवचंडी मंदिर परिसर में चिनमयानंद बापू की भागवत कथा करा चुके हैं।