दो नाबालिग लड़कों द्वारा किशोरी से रेप और उसके गर्भवती होने का दो साल पुराना मामला अब सेशन कोर्ट में चलेगा। पीड़िता के वकील के तर्कों से सहमत होते हुए सेशन कोर्ट ने मामले को किशोर न्यायालय से रेफर करने का आदेश 1 जून 2025 को दिया है। मामला सेशन कोर्ट मे
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पुलिस ने केस डायरी न्यायालय में पेश की, तो सेशन कोर्ट ने फरियादी और आरोपियों के नाबालिग होने के कारण मामला किशोर न्यायालय में चलाने के निर्देश दिए थे। इसके खिलाफ पीड़िता ने सेशन कोर्ट में अपील की। पीड़िता के वकील हिरेश पाण्डे ने निर्भया कांड का हवाला देते हुए तर्क दिया कि यह केस भी निर्भया जैसा गंभीर प्रकृति का है। दोनों आरोपी 16 से 18 साल के हैं और पूरी तरह से सक्षम हैं। इसके बाद कोर्ट ने केस रेफर किया है। इसमें रेप के अलावा अन्य धाराओं में भी केस दर्ज है।
2023 का है मामला
मामला परदेशीपुरा थाना क्षेत्र का है। 2023 में इस क्षेत्र में रहने वाली किशोरी के साथ दो नाबालिग लड़कों ने रेप किया था। घटना के बाद किशोरी गर्भवती हो गई। इस बीच मामला पुलिस तक पहुंचा और पुलिस ने दोनों के खिलाफ रेप सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया। इसमें एक आरोपी ने तो पीड़िता को चाकू अड़ाकर धमकी दी थी कि अगर घटना के बारे में किसी को बताया तो अंजाम अच्छा नहीं होगा।
लड़कों की उम्र 16 से 18 वर्ष थी
मामला किशोर न्यायालय पहुंचा, तब पता चला कि घटना के समय एक आरोपी की उम्र 17 साल 7 महीने और 26 दिन की थी। ऐसे ही दूसरे आरोपी की उम्र 16 साल 10 माह और 22 दिन की थी। इस आधार पर कोर्ट ने 4 मार्च 2024 को दोनों को नाबालिग मानकर केस किशोर न्यायालय में ही चलने का आदेश दिया।
निर्भया केस के बाद किशोर न्याय अधिनियम में हुआ था संशोधन
एडवोकेट पांडे ने बताया कि कोर्ट को बताया कि केस में अधीनस्थ कोर्ट ने वैधानिक त्रुटि की है। दोनों आरोपियों द्वारा किया गया यह कृत्य दुर्लभतम सिद्धांत के तहत आता है। निर्भया केस के फैसले के अनुसार इस तरह के मामले जघन्य अपराधों की श्रेणी में आते हैं। निर्भया केस के बाद किशोर न्याय अधिनियम में संशोधन किया गया था ताकि 16 से 18 वर्ष तक के किशोरों पर रेप जैसे गंभीर अपराधों से जुड़े कुछ कृत्यों के लिए वयस्कों की तरह मुकदमा चलाने की अनुमति दी जा सके।
कोर्ट ने देखे आरोपियों के जन्म प्रमाण पत्र
एडवोकेट ने बताया कि इंदौर का यह केस भी किशोर न्यायालय अधिनियम की धारा 15 का उल्लंघन है। इसमें वैधानिक त्रुटि की गई है जिससे पीड़िता को उचित न्याय नहीं मिला है। इसके चलते यह केस सेशन कोर्ट में चलाया जाए। इस पर कोर्ट ने किशोर न्यायालय के अभिलेख और आदेश का अवलोकन किया गया। इसके साथ ही दोनों आरोपियों की जन्म तारीख के दस्तावेजों को भी देखा गया।
किशोर न्याय बोर्ड का आदेश रद्द, अब सेशन कोर्ट में ट्रायल
अवलोकन में पता चला कि इसमें से एक नाबालिग ने किशोरी के साथ चार बार रेप किया और चाकू दिखाकर फोटो इंटरनेट पर वायरल करने की धमकी भी थी। चूंकि रेप के बाद पीड़िता गर्भवती भी हुई और जन्म के दो दिन बाद उसके बच्चे की मौत भी हो गई। ऐसे में कोर्ट ने दोनों नाबालिग का कृत्य व्यस्क के रूप में विचारण होने जैसा माना। कोर्ट ने पीड़िता की अपील स्वीकार की और किशोर न्याय बोर्ड के आदेश रद्द किया।