Last Updated:
Gadhkalika Temple Ujjain: उज्जैन स्थित गढ़कालिका मंदिर तांत्रिक साधना, रहस्यमयी परंपराओं और कालिदास की आराधना के लिए प्रसिद्ध है. यहां गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा और तंत्र अनुष्ठान होते हैं.
हाइलाइट्स
- गढ़कालिका मंदिर से जुड़ा रहस्य
- उज्जैन का रहस्यमयी गढ़कालिका मंदिर
- नरमुंड का प्रसाद, तंत्र की साधना
शास्त्रों के अनुसार गढ़कालिका माता कालिदास की आराध्य देवी हैं. यह मंदिर उज्जैन के गड़कालीला रोड पर है. उज्जैन में हरसिद्धि के बाद दूसरा शक्तिपीठ गढ़कालिका मंदिर को माना जाता है. पुराणों में उल्लेख मिलता है कि उज्जैन में शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर माता सती के होंठ गिरे थे, इसलिए इस जगह को भी शक्तिपीठ के समकक्ष ही माना गया है. इस देवी मंदिर का पुराणों में भी वर्णन है.
मंदिर के सेवक श्याम तिवारी के अनुसार, गढ़कालिका मंदिर में नवरात्रि के बाद दशमी पर कपड़े के बनाए गए नरमुंड चढ़ाए जाते हैं. प्रसाद के रूप में दशहरे के दिन नींबू बांटा जाता है. इस मंदिर में तांत्रिक क्रिया के लिए कई तांत्रिक आते हैं. इन नौ दिनों में मां कालिका अपने भक्तों को अलग-अलग रूप में दर्शन देती हैं. तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारी मंदिर की प्राचीनता के विषय में कम ही लोग जानते हैं. माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग की बताई जाती है. गुप्त नवरात्रि में रोजाना तांत्रिकों का मेला इस मंदिर में लगता है. यहां खासकर मध्य प्रदेश, गुजरात, आसाम, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के तांत्रिक तंत्र क्रिया करने आते हैं.
कालिदास से जुडा है देवी हका इतिहास
मां गढ़कालिका महाकवि कालिदास की आराध्य देवी मानी जाती हैं. माता के आशीर्वाद से ही कालिदास ने कालजयी ग्रन्थों की रचना की थी. कालिदास रचित ‘श्यामला दंडक’ महाकाली स्तोत्र एक सुंदर रचना है. ऐसा कहा जाता है कि महाकवि के मुख से सबसे पहले यही स्तोत्र प्रकट हुआ था. उज्जैन में आयोजित होने वाले कालिदास समारोह में प्रतिवर्ष मां कालिका की आराधना की जाती है.
मंदिर को दीपमाला बनाती है खास
यह माता मंदिर में माता कालिका की प्रतिमा के साथ गर्भ गृह में ही मां महालक्ष्मी और मां महासरस्वती की भी प्रतिमा है. मंदिर के द्वार पर शुम्भ निशुम्भ द्वारपाल विराजमान हैं. मंदिर में कुल 230 दीपों के दो बड़े स्तंभ हैं, जिन्हें हर शाम संध्या आरती के दौरान प्रज्वलित किया जाता है. इन दीपों को आप भी प्रज्वलित करवा सकते हैं. उसके लिए आपको मंदिर समिति से संपर्क कर शासन द्वारा तय 500 रुपए शुल्क रसीद, 800रुपए घी व तेल का एक डिब्बा लेना होगा. दीप प्रज्वलन के लिए बुकिंग एक दिन पूर्व की जाती है.
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked … और पढ़ें