हाथ टूटा सिर फूटा फिर भी नहीं रुके आर्यन, खेल को बनाया ताकत, अब रचेंगे इतिहास

हाथ टूटा सिर फूटा फिर भी नहीं रुके आर्यन, खेल को बनाया ताकत, अब रचेंगे इतिहास


Last Updated:

Aryan Singh Kudo World Championship: सागर के 16 वर्षीय आर्यन सिंह पढ़ाई में कमजोर थे, लेकिन मार्शल आर्ट में उन्होंने देश का नाम रोशन किया. अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं.

हाइलाइट्स

  • आर्यन सिंह ने मार्शल आर्ट में देश का नाम रोशन किया
  • वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे
  • आर्यन पढ़ाई में कमजोर थे, लेकिन खेल में ताकत दिखाई
Sagar News: सागर में एक 16 साल के लड़के ने मार्शल आर्ट में कमाल कर दिया है. आर्यन सिंह कूड़ो वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करने और भारत को मेडल दिलाकर इतिहास रचने बुल्गारिया रवाना हुए हैं. आर्यन सिंह आर्मी पब्लिक स्कूल से 12th की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन शुरू से ही उनका पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता था. इसकी वजह से स्कूल के टीचर परेशान रहते थे और वह आर्यन को ताना मारा करते थे. इसकी शिकायत कभी पेरेंट्स से तो कभी स्पोर्ट टीचर से करते थे, लेकिन आर्यन ने फिर खेल को अपनी सबसे बड़ी ताकत बना लिया. अब तक वह 7 वार नेशनल में मेडल जीत चुके हैं.

आर्यन का सफर इतना आसान नहीं रहा
कोच शुभम राठौड़ बताते हैं कि यहां तक पहुंचाने के लिए आर्यन ने दिन रात मेहनत की है. वह रोजाना 10 से 11 घंटे प्रैक्टिस करते हैं. वह अपनी कैटेगरी में इंडिया के बेस्ट प्लेयर हैं. अपने वजन को मेंटेन करने के लिए सबसे कठिन प्रोटीन डाइट लेते हैं. आर्यन कक्षा छठवीं से मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण ले रहे हैं. साल 2019 में डिस्ट्रिक्ट लेवल पर पहले ही टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीता. इसके बाद कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा, यहां तक की प्रैक्टिस के दौरान एक बार उनका हाथ फैक्चर हो गया था. एक बार सर फूट गया था लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य पर निशाना साधे रहा.

स्कूल में भी आर्यन को सम्मान मिल चुका है.
आर्यन कहते हैं कि मुझे यह अवसर मध्य प्रदेश कूड़ो संगठन के स्टेट प्रेसिडेंट डॉक्टर एजाज खान के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से मिला है. मेरी ट्रेनिंग के साथ मानसिक मजबूती का श्रेय कोच शुभम राठौर को जाता है. उन्होंने हर कदम पर गाइड किया. आर्यन की इस उपलब्धि पर मेजर जनरल टीजी कृष्णन और आर्मी पब्लिक स्कूल की प्राचार्य ज्योति दुबे द्वारा सम्मानित किया गया. इसके अलावा स्कूल प्रबंधन में 50,000 की नगर सहायता अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए भी दी.

आर्यन के पिता नरेंद्र सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के एटा के रहने वाले हैं. लेकिन आर्मी की नौकरी के दौरान उनकी पोस्टिंग की वजह से बार-बार फैमिली के साथ मूवमेंट होता रहा, जिसका असर आर्यन की पढ़ाई पर साफ देखा गया, लेकिन आर्यन की खेल में रुचि को देखते हुए इनके पिता सागर में ही रिटायरमेंट की बाद सेटल हो गए हैं

Dallu Slathia

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across … और पढ़ें

homemadhya-pradesh

हाथ टूटा सिर फूटा फिर भी नहीं रुके आर्यन, खेल को बनाया ताकत, अब रचेंगे इतिहास



Source link