यूं ही नहीं कहते इसे ‘सिटी ऑफ वाटरफॉल्स’, नजारे ऐसे कि आंखें थमी रह जाए, यकीन नहीं तो खुद देख लीजिए

यूं ही नहीं कहते इसे ‘सिटी ऑफ वाटरफॉल्स’, नजारे ऐसे कि आंखें थमी रह जाए, यकीन नहीं तो खुद देख लीजिए


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मध्य प्रदेश के रीवा जिले में छिपे हैं ऐसे वाटरफॉल्स जो मानसून में किसी स्वर्ग से कम नहीं लगते. क्योटी और पुरवा वॉटरफॉल जैसे नज़ारे आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे.

रीवा का वाटरफॉल

हाइलाइट्स

  • रीवा को ‘सिटी ऑफ वाटरफॉल्स’ कहा जाता है.
  • क्योटी वॉटरफॉल 98 मीटर की ऊंचाई से गिरता है.
  • पुरवा वॉटरफॉल 70 मीटर ऊंचा है.
रीवा जिले की महाना नदी पर स्थित क्योटी वॉटरफॉल, 98 मीटर की ऊंचाई से गिरता है और मानसून में इसका नजारा दिल चुरा लेता है. इसे भारत का 24वां सबसे ऊंचा झरना भी माना जाता है.
जब सुबह की सुनहरी किरणें या शाम की हल्की रोशनी झरने पर पड़ती है, तो ये दृश्य किसी फिल्मी सीन से कम नहीं लगता. अगर आप फोटोग्राफी पसंद करते हैं, तो यह परफेक्ट स्पॉट है!
झरना देखने का कोई शुल्क नहीं है, लेकिन पार्किंग की सुविधा नहीं है. नदी पर बांध न होने से बाढ़ का खतरा बना रहता है खासकर मानसून में. हर साल हादसों की खबर आती है.
क्योटी झरने के पूर्वी किनारे पर क्योटी राजघराने का किला है, जो अब हैरिटेज होटल में बदल रहा है. ये किला न सिर्फ इतिहास, बल्कि खूबसूरत व्यू के लिए भी जाना जाता है.
रीवा से लगभग 25-30 किमी दूर टमस नदी पर स्थित यह झरना 70 मीटर ऊंचा है. चारों ओर की हरियाली और गिरते पानी का तेज बहाव एक अद्भुत अनुभव देता है.
रीवा को ‘सिटी ऑफ वाटरफॉल्स’ भी कहा जाता है. यहां 60-70 किमी के दायरे में दर्जनों झरने हैं. बरसात में इन झरनों की खूबसूरती दोगुनी हो जाती है – कुदरत के करीब जाने का बेहतरीन मौका.
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स्वर्ग देखना है तो रीवा चलो! यहां के झरनों की खूबसूरती देख उड़ जाएंगे होश



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