एक तरफ सरकार 100 यूनिट खपत पर 150 रुपए बिल की योजना चला रही है, वहीं दूसरी ओर हर साल घाटा बताकर कंपनी बिजली महंगी करने के लिए अर्जी नियामक आयोग के समक्ष लगा रही है। आयोग भी बिजली महंगी किए जा रहा है। इस विसंगति के खिलाफ हाई कोर्ट में विचाराधीन जनहित
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पूर्व में बिजली कंपनी ने कोर्ट में आवेदन दिया था कि यह याचिका हाई कोर्ट में चलने योग्य नहीं है। याचिकाकर्ता को नियामक आयोग में अर्जी लगाना चाहिए। हाई कोर्ट ने बिजली कंपनी की अर्जी खारिज करते हुए याचिका पर जवाब पेश करने के निर्देश कंपनी को दिए। जस्टिस विवेक रूसिया, जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ के समक्ष इस याचिका की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रतीक माहेश्वरी ने पैरवी की।
उत्पादन में सरप्लस, फिर भी देश में सबसे महंगी बिजली याचिका में कहा गया कि मप्र में बिजली का उत्पादन होता है। दिल्ली, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को बेची जाती है। वहां बिजली सस्ती है, लेकिन हमारे यहां देश में सबसे महंगी बिजली उपभोक्ताओं को दी जा रही। इंडस्ट्री सेक्टर हर साल महंगी बिजली की मार झेल रहा। सरकार 12 साल से उपभोक्ताओं को बिजली पर सब्सिडी दे रही।
नियम यह है कि अनुदान देने से पहले यह राशि बिजली कंपनी को देना होती है। कंपनी को 96 हजार करोड़ रुपए सरकार को चुकाना है, लेकिन सरकार समय पर पैसा नहीं दे रही। कंपनी को इसकी भरपाई हर साल टैरिफ महंगा करके करना पड़ रही है।
3 साल से जवाब ही पेश नहीं, अगस्त में फिर सुनेंगे 2022 में यह जनहित याचिका दायर की गई थी। शुरू में बिजली कंपनी ने आपत्ति दर्ज कराई थी। फिर नियामक आयोग के समक्ष आपत्ति लगाने के लिए कहा था। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि आपने 2022 से ही जवाब पेश नहीं किया। अगली सुनवाई से पहले जवाब पेश किया जाए। अगस्त में मामले की सुनवाई होगी।
भास्कर एक्सपर्ट
रीडिंग और बिलिंग सिस्टम में सुधार की जरूरत बिजली मामलों के विशेषज्ञ इंजीनियर आरसी सोमानी के मुताबिक शहर में 8 लाख के करीब बिजली उपभोक्ता हैं। इनमें से करीब 1 लाख 25 हजार इंडस्ट्री के कनेक्शन हैं। नियामक आयोग इंडस्ट्री सेक्टर की बिजली में 5-7 पैसों की भी बढ़ोतरी करता है तो इंडस्ट्री पर बड़ा असर होता है। रीडिंग और बिलिंग सिस्टम को बिजली कंपनी ठीक कर ले तो ही उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिल सकती है। हर महीने बिल जारी होने के बाद औसत एक जोन पर 2 हजार से अधिक शिकायत बिल जारी करने की आती है। शहर में 30 जोन कार्यालय हैं। इस प्रकार हर महीने 60 हजार शिकायत तो केवल बिल में करेक्शन की आती है।