हनुमान मंदिर से यूनिवर्सिटी तक रावतपुरा सरकार का रहस्यमय सफर: रिश्वतकांड में रविशंकर महाराज पर CBI के केस दर्ज करने से लेकर कंट्रोवर्सी की पूरी कहानी – Madhya Pradesh News

हनुमान मंदिर से यूनिवर्सिटी तक रावतपुरा सरकार का रहस्यमय सफर:  रिश्वतकांड में रविशंकर महाराज पर CBI के केस दर्ज करने से लेकर कंट्रोवर्सी की पूरी कहानी – Madhya Pradesh News


केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने हाल ही में छत्तीसगढ़ के श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज (SRIMSR) के पक्ष में रिपोर्ट बनाने के मामले में 3 डॉक्टर्स समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों पर कॉलेज प्रबंधन से 55 लाख रुपए की रिश्वत लेने का आरोप हैं

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इसके अलावा सीबीआई ने रविशंकर महाराज उर्फ रावतपुरा सरकार के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। रावतपुरा सरकार कॉलेज के चेयरमैन है। ये कोई पहला मामला नहीं है जब रावतपुरा सरकार विवाद में फंसे हों। इससे पहले भी कई कंट्रोवर्सी सामने आ चुकी हैं। हालांकि, रावतपुरा सरकार की तरफ से इन सारे विवादों को पहले ही खारिज किया जा चुका है। जानिए रावतपुरा सरकार से जुड़ी पांच कंट्रोवर्सी…

अब जानिए रावतपुरा सरकार से जुड़ी चार कंट्रोवर्सी

कंट्रोवर्सी 1: गांव की जमीनें ट्रस्ट के नाम की 2024 के अंत में रावतपुरा सरकार ट्रस्ट के नाम कई जमीनों की लीज और रजिस्ट्री को लेकर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में कानूनी विवाद सामने आए। यह आरोप लगाए गए कि कुछ जमीनें ग्राम समाज की थीं, जिन्हें ट्रस्ट के नाम पर अवैध रूप से दर्ज कराया गया।

ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई जमीनों पर निर्माण अनुमति के बिना भवन निर्माण कराया गया। कुछ स्थानों पर राजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर जमीन को निजी संपत्ति घोषित करवाने का मामला सामने आया।

ट्रस्ट का पक्ष: इन मामलों में जांच अभी भी जारी है। स्थानीय प्रशासन और राजस्व विभाग इनसे संबंधित रिपोर्ट्स दे चुका है।

कंट्रोवर्सी 2: स्कूल और कॉलेजों में नियमों की अनदेखी रावतपुरा सरकार ट्रस्ट द्वारा शैक्षणिक संस्थानों की भी एक श्रृंखला चलाई जा रही है-स्कूल, कॉलेज, पॉलिटेक्निक, यहां तक कि पैरामेडिकल संस्थान भी। लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई कि कई संस्थानों में AICTE और NCTE जैसी मान्यता प्राप्त संस्थाओं की अनुमति नहीं ली गई।

ट्रस्ट द्वारा संचालित कॉलेजों में शिक्षकों को नाममात्र वेतन देकर उनसे पूर्ण समय काम लिया जा रहा था। कुछ छात्रों ने शिकायत की कि उन्हें ‘धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने का दबाव’ डाला गया और ना मानने पर परीक्षा या प्रमाणपत्रों में रुकावट की धमकी दी गई।

ट्रस्ट का पक्ष: सारे आरोप निराधार हैं। रावतपुरा ट्रस्ट के सभी शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा और संस्कृति का संगम है।

छत्तीसगढ़ में रावतपुरा सरकार की यूनिवर्सिटी।

छत्तीसगढ़ में रावतपुरा सरकार की यूनिवर्सिटी।

कंट्रोवर्सी 3: महिला अनुयायियों के साथ व्यवहार 2023 में एक महिला अनुयायी ने ग्वालियर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि रावतपुरा सरकार आश्रम में महिलाओं को ‘सेवा’ के नाम पर दिनभर काम करवाया जाता था और निजी बातचीत के लिए मजबूर किया जाता था। महिला ने आरोप लगाया कि उसके विरोध करने पर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।

हालांकि, इस मामले में पुलिस ने जांच के बाद कोई स्पष्ट चार्जशीट दाखिल नहीं की, लेकिन मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए थे।

कंट्रोवर्सी 4: VIP ट्रीटमेंट और राजनीतिक संबंध रावतपुरा सरकार की छवि हमेशा से ‘सत्ता के करीब’ वाले बाबा की रही है। कई बड़े नेता, अफसर और मंत्री नियमित रूप से उनके दर्शन पर आते हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें IPS-आईएएस अधिकारियों, सांसदों, मंत्रियों के साथ वायरल होती रही हैं।

यह आरोप लगता रहा है कि ट्रस्ट को कई सरकारी योजनाओं में विशेष फायदा मिला-जैसे निर्माण की अनुमति, सब्सिडी पर बिजली और पानी, यहां तक कि ट्रस्ट की भूमि पर सीधे रोड कनेक्टिविटी। आलोचकों का आरोप है कि अध्यात्म के नाम पर यह ‘पावर नेटवर्किंग’ का मामला बन चुका है, जहां धर्म और राजनीति का गठजोड़ हो चुका है।

रविशंकर महाराज के साथ पूर्व सीएम कमलनाथ।

रविशंकर महाराज के साथ पूर्व सीएम कमलनाथ।

रावतपुरा सरकार के साथ पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान।

रावतपुरा सरकार के साथ पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान।

रावतपुरा सरकार के भक्त बताते हैं साजिश रावतपुरा सरकार के भक्त इन सभी आरोपों को सिरे से नकारते हैं। उनका कहना है कि ‘जब कोई संत समाज के लिए बड़ा काम करता है तो कुछ लोग उससे जलने लगते हैं। यह सब उनकी छवि खराब करने की साजिश है।’ भक्तों का यह भी तर्क है कि ट्रस्ट ने हजारों गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी है, अनाथालय चलाए हैं और कोविड के समय ऑक्सीजन सिलेंडर तक मुफ्त में दिए थे। इसलिए उन्हें विवादों में घसीटना एक सोची-समझी चाल है।

रावतपुरा सरकार के साथ सीएम डॉ. मोहन यादव और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा।

रावतपुरा सरकार के साथ सीएम डॉ. मोहन यादव और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा।

अब जानिए क्या है मेडिकल कॉलेज रिश्वतखोरी का का मामला

सीबीआई को एक पुख्ता जानकारी मिली थी कि स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के कुछ अधिकारी, निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर मान्यता प्रक्रिया में व्यापक गड़बड़ी कर रहे हैं। ये भी इनपुट मिला कि इन अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी करते हुए कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को अवैध तरीके से मान्यता दिलवाई और इसके बदले में मोटी घूस ली।

इसके अलावा, कॉलेजों की इंस्पेक्शन रिपोर्ट को भी प्रभावित किया गया ताकि उन्हें मनचाहा नतीजा दे सके। रायपुर के श्री रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च SRIMSR ने भी मान्यता के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) में आवेदन किया था।

जब एनएमसी की जांच टीम रायपुर पहुंची तो उन्होंने कॉलेज मैनेजमेंट के साथ मनचाही रिपोर्ट देने के लिए 55 लाख रु. रिश्वत की डील की। सीबीआई ने घूस लेने के मामले में 3 डॉक्टर समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया है।

सीबीआई ने आरोपियों को ऐसे पकड़ा 30 जून 2025 को मेडिकल काउंसिल के 4 सदस्य डॉक्टर्स की टीम निरीक्षण के लिए SRIMSR आई थी। टीम में डॉ. मंजप्पा सीएन, डॉ. सतीश, डॉ. अशोक शेलके और डॉ. चैत्रा एमएस शामिल थे। सीबीआई के मुताबिक, इन चारों डॉक्टर्स ने ​​​​​SRIMSR मैनेजमेंट के अतुल कुमार तिवारी से पॉजिटिव रिपोर्ट देने के लिए लेन-देन की बातचीत की।

डॉ. मंजप्पा सीएन ने डॉ. सतीश को हवाला के जरिए 55 लाख रुपए इकट्‌ठा करने का काम सौंपा।

डॉ. मंजप्पा ने कहा- हवाला ऑपरेटर से कॉल आएगा डॉ. मंजप्पा ने सतीश ए. को यह भी बताया कि उन्हें हवाला ऑपरेटर से एक कॉल आएगा कि राशि कैसे एकत्र की जानी है। डॉ. मंजप्पा ने निरीक्षण दल की एक अन्य सदस्य डॉ.चैत्रा से भी बात की। उन्हें बताया कि उनका हिस्सा सतीश ए. उनके निवास पर पहुंचवाएंगे। CBI ने लंबे समय से NMC और उससे जुड़े लोगों को ट्रैप कर रही थी।

केस फाइल करने के बाद सभी आरोपियों को पकड़ने के लिए बेंगलुरु में जाल बिछाया। यहां से 55 लाख रुपए की रिश्वत की रकम बरामद की। रिश्वत की कुल रकम में से 16.62 लाख रुपए डॉ.चैत्रा के पति रविन्द्रन से और 38.38 लाख रुपए डॉ. मंजप्पा के सहयोगी सतीश ए से बरामद किए गए हैं।

1 जुलाई सीबीआई ने को डॉ. मंजप्पा, डॉ. चैत्रा, डॉ. अशोक, अतुल कुमार तिवारी को रायपुर से गिरफ्तार किया गया। वहीं बेंगलुरु से सतीश ए. और रविचंद्र के. को भी गिरफ्तार कर रायपुर लाया गया। रायपुर स्पेशल कोर्ट में सीबीआई ने सभी 6 आरोपियों की 5 दिनों की रिमांड मांगी। कोर्ट सभी आरोपियों को 7 जुलाई तक सीबीआई रिमांड पर भेजा है।

सीबीआई ने सभी आरोपियों को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया।

सीबीआई ने सभी आरोपियों को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया।

लीगल एक्सपर्ट बोले- इसमें ईडी की एंट्री भी हो सकती है

इस मामले को लेकर एडवोकेट प्रमोद सक्सेना का कहना है कि एनएमसी चेयरमैन के यहां से पिछले दिनों गोल्ड पकड़ा जा चुका है। सिस्टम में वायरस तो है। काउंसिल में पारदर्शिता की जरूरत है। बच्चे दिन-रात एक कर परीक्षा पास करते है और जब ऐसे कॉलेज में जाते है जिनकी मान्यता इस तरह से मिलेंगी तो पूरी सिस्टम की जो विश्वसनीयता है उस पर चोट लगती है।

सीबीआई बहुत बड़ी एजेंसी है। ये जांच का विषय है कि वह कितने अच्छे से सबूत जुटाए जाते हैं। इसमें तो ईडी भी आ सकती है। इसमें अभी और परतें खुलेंगी। कॉलेज कौन चला रहा है। कॉलेज चलाने वाली संस्था फायदा कमाने वाली संस्था नहीं होती । ये जांच के विषय है कि क्या रावतपुरा सरकार जो अच्छे भाव से कॉलेज को चलाना चाहते थे वो सिस्टम का शिकार हुए हैं।

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