Last Updated:
OBC Politics : मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस ने बड़ा हमला बोला है. कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार 27% ओबीसी आरक्षण…और पढ़ें
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
हाइलाइट्स
- कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भाजपा पर बोला हमला
- कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा पर लगाए कई आरोप
- ओबीसी आरक्षण को लेकर संघर्ष करने का किया ऐलान
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि पहले शिवराज जी पिछड़े मुख्यमंत्री रहे अब मोहन यादव जी हैं ये पिछड़ों को और पिछड़ा कर रहे हैं. सिंघार ने कहा कि भाजपा सरकार 27 फीसदी आरक्षण ना देकर ओबीसी वर्ग के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. उन्होंने कहा राहुल गांधी जी जातिगत जनगणना की बात करते हैं लेकिन आरएसएस और भाजपा की मनुवादी सोच दलित, आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को उनका हक नहीं देना चाहती. नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से मांग की है कि तत्काल 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू किया जाए और 13 परसेंट होल्ड पदों पर भर्ती की जाए नहीं तो सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ी जाएगी.
इस आरोप के पीछे जो तथ्यों का सिलसिला है, वह बेहद गंभीर है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने स्पष्ट कर दिया है कि 27% ओबीसी आरक्षण पर कोई कानूनी रोक नहीं है. बावजूद इसके, सरकार इस आरक्षण को लागू नहीं कर रही. 25 जून को सर्वोच्च न्यायालय ने यहां तक कह दिया कि जब कोई अड़चन नहीं है तो सरकार 27% आरक्षण क्यों नहीं दे रही? इससे स्पष्ट होता है कि यह देरी केवल तकनीकी नहीं, बल्कि राजनीतिक है. यह मुद्दा केवल आरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय की लड़ाई बन चुका है. कांग्रेस ने 2019 में 14% से बढ़ाकर 27% आरक्षण दिया था, जिसे विधानसभा और कैबिनेट की मंजूरी भी मिली थी. वह निर्णय कांग्रेस की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक था. वहीं भाजपा की ओर से इसे लागू न करना राजनीतिक उदासीनता नहीं, बल्कि सोच-समझकर की गई रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.
जातिगत जनगणना की मांग को लेकर कांग्रेस का रुख आक्रामक
उमंग सिंघार का यह बयान कि “शिवराज सिंह पिछड़े मुख्यमंत्री थे, अब मोहन यादव ओबीसी समाज को और पिछड़ा कर रहे हैं” सीधे तौर पर भाजपा की नेतृत्व क्षमता और नीयत पर सवाल उठाता है. वहीं जातिगत जनगणना की मांग को लेकर कांग्रेस का रुख आक्रामक होता जा रहा है. राहुल गांधी की इस मांग को अब जमीनी आंदोलन का आधार बनाया जा रहा है. इस लड़ाई को अब कांग्रेस “आरपार की लड़ाई” कह रही है और सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष का ऐलान कर चुकी है. बीजेपी के लिए यह स्थिति न केवल ओबीसी समाज में अपनी छवि को लेकर चुनौतीपूर्ण है, बल्कि आने वाले निकाय और विधानसभा चुनावों में भी उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. ओबीसी आबादी मध्यप्रदेश में 50% से अधिक है, ऐसे में इस वर्ग की नाराजगी किसी भी पार्टी की राजनीतिक गणित को उलट सकती है. कांग्रेस इसे अवसर के रूप में देख रही है और भाजपा को कटघरे में खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही.
सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्थानों में सजग जिम्मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें
सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्थानों में सजग जिम्मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें