तय पैटर्न में सांस लेने से घटा डिलीवरी का समय: प्रसव-पीड़ा भी हुई कम; भोपाल की गर्भवतियों पर हुई रिसर्च अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश – Bhopal News

तय पैटर्न में सांस लेने से घटा डिलीवरी का समय:  प्रसव-पीड़ा भी हुई कम; भोपाल की गर्भवतियों पर हुई रिसर्च अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश – Bhopal News


गर्भवती यदि एक तय पैटर्न में सांस ले तो यह असहनीय पीड़ा को कम करने और डिलीवरी प्रक्रिया को सहज बनाने में मदद करता है। दरअसल, प्रसव पीड़ा शुरू होने से लेकर प्लैसेंटा की डिलीवरी तक कुल 3 स्टेज होती हैं। अलग-अलग स्टेज में अलग अलग ब्रीथिंग एक्सरसाइज करनी

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यह तथ्य एम्स भोपाल की नर्सिंग स्टूडेंट कुमारी डिंपल द्वारा की गई रिसर्च से सामने आए। जो कि नर्स-नेतृत्व वाली ब्रीदिंग एक्सरसाइज (सांस लेने के व्यायाम) तकनीक पर आधारित रही। यह रिसर्च को डॉ. लिली पोद्दार (एसोसिएट प्रोफेसर, एम्स भोपाल) के निर्देशन में किया गया। जिसमें डॉ. ज्योति नाथ मोदी, डॉ. ममता वर्मा, डॉ. अमित अग्रवाल, डॉ. सैकेत दास समेत अन्य शिक्षकों ने सहयोग दिया।

एम्स भोपाल की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लिली पोद्दार ने इस रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय नर्सिंग कांग्रेस (ICN Congress 2025) में पेश किया। यह कांग्रेस 5 जुलाई को फिनलैंड के हेलसिंकी शहर में आयोजित हुआ। जिसमें 130 से अधिक देशों के 7,000 से ज्यादा स्वास्थ्य पेशेवर, नीति निर्माता और शिक्षक मौजूद रहे।

रिसर्च के मुख्य पॉइंट

  • यह रिसर्च एम्स भोपाल और जयप्रकाश अस्पताल भोपाल में सितंबर-दिसंबर 2023 के बीच किया गया।
  • 100 प्रथम बार गर्भवती महिलाओं पर अध्ययन किया गया।
  • 50 महिलाओं को पारंपरिक देखभाल दी गई जबकि 50 महिलाओं को नर्स द्वारा निर्देशित ब्रीदिंग एक्सरसाइज सिखाई गई।
  • इन व्यायामों की महिलाएं घर पर प्रैक्टिस करती रहीं और प्रसव के दौरान अपनाया।

यह रिजल्ट आए सामने

  • प्रसव की कुल अवधि कम हुई: ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने वाले समूह में पहले और दूसरे चरण का समय औसतन कम पाया गया।
  • ऑक्सीटॉसिन ड्रिप की जरूरत कम हुई: नर्स-नेतृत्व वाले समूह में ऑक्सीटॉसिन की मात्रा कम दी गई।
  • प्रसव का अनुभव बेहतर: महिलाओं ने अच्छा मानसिक संतुलन, कम डर और बेहतर आत्म-नियंत्रण महसूस किया।

महिलाओं के लिए उपयोगी सुझाव:

  • गर्भावस्था के 35वें सप्ताह के बाद सही तकनीक से ब्रीदिंग एक्सरसाइज शुरू करें।
  • प्रशिक्षित नर्स या विशेषज्ञ से वीडियो या प्रत्यक्ष मार्गदर्शन लें।
  • व्यायाम दिन में दो बार, 15 मिनट तक करें और प्रसव के समय इन तकनीकों को अपनाएं।

अलग अलग स्टेज के लिए अलग ब्रीथिंग एक्सरसाइज प्रसव की पूरी प्रक्रिया तीन स्टेज में होती हैं। इनमें अलग अलग तरीके से सांस लेना यानी ब्रीथिंग एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। इसी को देखते हुए शोधकर्ताओं ने 35 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के बाद से ही महिलाओं को ब्रीथिंग एक्सरसाइज की प्रेक्टिस करानी शुरू कर दी थी। जिससे वे प्रसव के दौरान बिना गलती के इन्हें कर सकें। स्टेज और ब्रीथिंग एक्सरसाइज

  • पहली स्टेज प्रसव पीड़ा के साथ शुरू होती है। यह महिला को डिलीवरी रूम में लेकर जाने तक जारी रहती है। इस दौरान डीप क्लींजिंग ब्रीथिंग, स्लो पेस ब्रीथिंग, लाइट रैपिड ब्रीथिंग और पैंट ब्लो ब्रीथिंग एक्सरसाइज की जानी चाहिए।
  • दूसरी स्टेज में नवजात की डिलीवरी और तीसरी स्टेज में प्लैसेंटा की डिलीवरी होती है। इस स्टेज में पुशिंग ब्रेथ एक्सरसाइज की जानी चाहिए।
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा, ICN जैसे मंच पर एम्स भोपाल की भागीदारी, हमारी अकादमिक गुणवत्ता और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। डॉ. पोद्दार और उनकी टीम का योगदान भारत में नर्सिंग शिक्षा और मातृ स्वास्थ्य देखभाल में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला है।

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा, ICN जैसे मंच पर एम्स भोपाल की भागीदारी, हमारी अकादमिक गुणवत्ता और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। डॉ. पोद्दार और उनकी टीम का योगदान भारत में नर्सिंग शिक्षा और मातृ स्वास्थ्य देखभाल में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला है।

यह भी पढ़ें… एक लाख प्रसूताओं में 159 गवां रहीं जान, देश में MP की सबसे खराब स्थिति एमपी मातृ और शिशु स्वास्थ्य के मामले में देश के सबसे पीछे रहने वाला राज्य है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में हर एक लाख प्रसव में 159 माताएं और हर एक हजार जन्म में 40 नवजात अपनी जान गंवा रहे हैं। ये आंकड़े सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि उन परिवारों की पीड़ा हैं जो समय पर इलाज, संसाधन और सुरक्षित प्रसव सुविधाओं के अभाव में अपनों को खो देते हैं।

हाल ही में राजधानी में हुए एक कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने इस विषय पर डॉक्टरों और विभाग के अधिकारियों को इन आंकड़ों को गंभीरता से लेने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि आंकड़ों में सुधार आया है, यह अच्छी बात है। लेकिन, अभी लक्ष्य बहुत दूर है। इसके लिए सभी हर संभव प्रयास करें।

देश का MMR औसत आधा इधर, SRS मैटरनल बुलेटिन 2020-22 के अनुसार, मध्यप्रदेश में मातृ मृत्यु दर (MMR) 159 है। जबकि भारत का औसत MMR 88 है। मध्यप्रदेश का IMR-MMR देश के औसत से लगभग दोगुना है। जो इसे सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य बनाता है।

देश और राज्यों से MMR की तुलना

  • उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ का MMR भी 141 है, जो मध्यप्रदेश से थोड़ा बेहतर, लेकिन फिर भी गंभीर स्थिति में है।
  • ओडिशा का MMR 136 है, जो उच्च MMR वाले राज्यों में से एक है।
  • वहीं, केरल 18 और महाराष्ट्र 36 MMR के साथ मातृ देखभाल में बेहतर मॉडल प्रस्तुत करते हैं। पढ़ें पूरी खबर



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