35 रुपए किलो खरीदा और 80 में बेचा, 30 दिन में ही कर लेता है मोटी कमाई, जानें इस शख्स का बिजनेस प्लान 

35 रुपए किलो खरीदा और 80 में बेचा, 30 दिन में ही कर लेता है मोटी कमाई, जानें इस शख्स का बिजनेस प्लान 


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Kamal Gatta Business: महोबा के राहुल रैकवार कमलगट्टा और कमल ककड़ी बेचकर सिर्फ 30 दिन में हर महीने ₹50,000 तक कमा रहे हैं. जानिए कैसे उन्होंने 35 रुपये किलो में खरीदा और 80 में बेचकर बना लिया कमाई का अनोखा मॉडल.

हाइलाइट्स

  • राहुल रैकवार तालाब के फलों को बेचकर हर महीने 50 हजार कमाते हैं.
  • कमल गट्टे और कमल ककड़ी बेचकर मोटी कमाई करते हैं.
  • कमल गट्टे के बीज और छिलके भी बेचते हैं.
Unique Business idea. छतरपुर जिले से लगे महोबा के बेलाताल(जैतपुर) के रहने वाले राहुल रैकवार जो कि अपने गांव से छतरपुर शहर आकर तालाब में होने वाले फलों को बेचते हैं और यह फलों को बेचकर हर महीने 50 हजार रुपए आसानी से कमा लेते हैं.

फिलहाल, यह कमल ककड़ी और कमलगट्टे जैसे फलों को बेचकर आमदनी कमा रहे हैं. इसके अलावा कमलगट्टे की बीजों को सुखाकर बाद में इनको भी बेच लेते हैं. कमल गट्टे के छिलकों को भी बेच लेते हैं. बीज और छिलके हवन सामग्री में काम आते हैं. बरसात के बाद ठंड में सिंघाड़ा बेचते हैं .

राहुल रैकवार बताते हैं कि मैं यूपी के महोबा जिले के छोटे से गांव बेलाताल का रहने वाला हूं. बेलाताल से हर दिन छतरपुर शहर में ये फल बेचने आता हूं. छतरपुर जिले में इसे छतिया के नाम से जाना जाता है. लेकिन ज्यादातर लोग इसे कमल गट्ट या कमल गट्टा के नाम से जानते हैं. इसे कच्चा मखाना भी कहते हैं.

बरसात सीजन में आता है ये फल 
राहुल बताते हैं कि जून के आखिरी दिनों में ये फल बाजार में आना शुरू हो जाता है. साल के सिर्फ कुछ ही दिन ये फल खाने को मिलता है.

तालाबों में खिल रहे हैं कमल 
ये फल कमल के फूल से ही निकलता है. तालाब से तोड़ना पड़ता है. इस समय तालाबों में कमल बहुत खिल रहे हैं. इसलिए कमल गट्टे भी आसानी से तोड़ने को मिल जाते हैं. हालांकि, ये कमल गट्टे गांव में दूसरों से तुड़वाकर खरीदता हूं और यहां शहर में कहीं भी बैठकर 70 से 80 रुपए किलो बेच आसानी से बेच लेता हूं.

कमल गट्ट का छिलका भी बेच लेते हैं 
राहुल बताते हैं कि छतरपुर शहर में ₹80 किलो एक कमलगट्टा बेच लेता हूं. दिन में ₹3 हजार की आराम से कमाई कर लेता हूं. शाम तक पूरा बेच देता हूं फिर अपने घर बेलाताल चला जाता हूं. हर दिन आना-जाना करता हूं.

इस समय छतरपुर में इस कमल गट्ट की डिमांड बहुत ज्यादा रहती है. इसके अलावा कमल ककड़ी भी बेचता हूं लेकिन फिलहाल अभी कमलगट्टा ही बेच रहा हूं. ठंड का मौसम आने पर सिंघाड़ा बेच लेता हूं. सिंघाड़ा बेचकर भी कमाई कर लेता हूं और जो कमलगट्टे के बीज होते हैं उनको सुखाकर भी बेचता हूं और छिलकों को भी बेच लेता हूं.

सब्जी से लेकर खीर तक बनती है 
राहुल बताते हैं कि अगर थोड़ा माल कभी बच गया तो इसके बीजों को पीसकर सब्जी और खीर भी बनाकर खा लेते हैं. शहर के लोगों का तो नहीं पता लेकिन हम तो इसकी सब्जी और खीर बनाकर खाते हैं.

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