Last Updated:
Sagar Weather News: सागर में पिछले दो दिन से हो रही लगातार बारिश की वजह से नदी, नाले तूफान पर आ गए. 2 दिन में करीब चार इंच बारिश रिकार्ड की गई. वहीं मौसम विभाग ने 7 जुलाई से 9 जुलाई तक तीन दिन का फिर रेड अलर्ट जारी किया है.
सागर जिले में मानसून एक बार फिर सक्रिय हो गया है, जिससे जिले में भारी बारिश हो रही है. मौसम विभाग के अनुसार, बीते दो दिनों में जिले में 93.7 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जबकि अब तक जिले में कुल 234.7 मिमी बारिश हो चुकी है. इस भारी बारिश के कारण जिले की कई नदी-नालियां उफान पर हैं और सागर से राहतगढ़ होते हुए रायसेन मार्ग और राहतगढ़-खुरई मार्ग बंद हो गए हैं.

राहतगढ़ से आगे ग्राम पारासरी में नाले के ऊपर पानी आने से वाहनों की कतार लग गई. शनिवार सुबह 9 से 12 बजे तक वाहनों के लिए आवागमन बंद रहा. नवनिर्मित ब्रिज से दो पहिया वाहनों को निकाला गया. दोपहर 12 बजे के बाद भारी वाहनों का आवागमन संभव हो सका.

निरंतर हो रही बारिश के कारण राहतगढ़-खुर्द मार्ग भी अवरुद्ध रहा. बीना नदी उफान पर आ जाने से ग्राम इिस्ला के आगे बीना नदी पर बना मालाघाट का पुल पानी में डूब गया. शनिवार दोपहर दो बजे से वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई, पुल के दोनों ओर वाहनों की कतार लग गई. ऐसे में लोग पुल पार न करें इसलिए एहतियात के तौर पर बैरिकेड्स लगा दिए.

जैसीनगर तहसील के बरौदा सागर गांव के पास नाले में एक ट्रैक्टर बह गया है. जानकारी के मुताबिक, नाले के उस पार ट्रैक्टर खेत में फंसा हुआ था, जिसे नाले को पार कर मुख्य सड़क पर लाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन तेज बहाव में ट्रैक्टर बह गया. हालांकि, ट्रैक्टर ड्राइवर कूदकर किनारे आ गया.

वहीं दूसरी ओर खुरई ब्लॉक द्वारा बैरिकेड्स लगाए गए हैं. वाहनों को दूर रोका गया है. अनुविभागीय अधिकारी अशोक सेन ने बताया कि पुल पर आवाजाही बंद कर दी है. बैरिकेड्स लगा दिए हैं, पुलिस एवं कोटवार मौके पर मौजूद हैं, ताकि लोग जोखिम उठाकर पुल पार न करें.

सागर के मौसम विज्ञानि और प्रभारी अधिकारी विवेक छलोत्रे ने बताया कि प्रदेश में दो सिस्टम सक्रिय हैं. एक ट्रफ उत्तर गुजरात से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड से होते हुए पश्चिम बंगाल में गंगा-के मैदानी क्षेत्रों पर बने चक्रवातीय परिसंचरण तक समुद्र तल से 3.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर विस्तृत है.

एक अन्य चक्रवातीय परिसंचरण पूर्वोत्तर मध्यप्रदेश और निकटवर्ती क्षेत्रों में समुद्र तल से 1.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर सक्रिय है.