सस्ता, असरदार और मिट्टी के लिए फायदेमंद, बाजार में छाया यूरिया का तगड़ा विकल्प

सस्ता, असरदार और मिट्टी के लिए फायदेमंद, बाजार में छाया यूरिया का तगड़ा विकल्प


Khargone News: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में खरीफ सीजन की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है. किसान कपास, सोयाबीन, मक्का और मिर्च जैसी प्रमुख फसलों की देखरेख में लगे हुए हैं. लेकिन इन दिनों एक बार फिर डीएपी और यूरिया खाद को लेकर अफरा-तफरी का माहौल है. किसान रात से ही डीएपी और यूरिया के लिए समितियों और गोदामों के बाहर लंबी-लंबी कतारों में खड़े हैं, लेकिन उन्हें जरूरत के मुताबिक खाद नहीं मिल पा रही है.

कृषि विभाग के अनुसार, बाजार और समितियों में वैकल्पिक खाद का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है, लेकिन किसानों में उसके प्रति जागरूकता की कमी है. खासकर सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) जैसे खाद को किसान नजरअंदाज कर रहे हैं, जबकि यह डीएपी का किफायती और असरदार विकल्प साबित हो सकता है. इसी के साथ नैनो यूरिया लेने से भी परहेज कर रहे है.

यूरिया और डीएपी का विकल्प
कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह के अनुसार, एसएसपी एक फॉस्फेट युक्त उर्वरक है, जिसमें 16% फास्फोरस, 11% सल्फर और कुछ मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। यह फसलों की जड़ों को मजबूती देता है और उनकी बढ़वार में सहायता करता है. खास बात यह है कि इसमें मौजूद सल्फर पौधों के स्वाद, रंग और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.

कपास, सोयाबीन, मिर्च में दिखता है असर
एसएसपी का असर धीमे-धीमे होता है, लेकिन उसका प्रभाव लंबे समय तक रहता है. यह मिट्टी की गुणवत्ता को भी सुधारता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि कपास, सोयाबीन और मिर्च जैसी फसलों में इसका असर साफ नजर आता है. लगातार एसएसपी के उपयोग से मिट्टी भुरभुरी और उपजाऊ बनी रहती है, जबकि डीएपी का अधिक इस्तेमाल मिट्टी को सख्त कर देता है.

खेतों में खाद का संतुलन जरूरी
डॉ. राजीव सिंह सलाह देते हैं कि किसान सिर्फ डीएपी पर निर्भर न रहें. एसएसपी के साथ पोटाश और यूरिया को मिलाकर चार चरणों में खाद का छिड़काव करें. प्रति एकड़ 200 किलो एसएसपी, 25 किलो पोटाश और 140 से 150 किलो यूरिया का मिश्रण तैयार कर, इसे चार भागों में बांटकर खेत में देना चाहिए. इसके अलावा नैनो खाद का भी उपयोग किसानों के लिए फायदेमंद है.

नैनो यूरिया उपयोग के लाभ
विशेषज्ञों के मुताबिक, नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया की तुलना में अधिक प्रभावी और किफायती विकल्प है. इसकी 500 मि.ली. की एक बोतल उतना ही असर करती है जितना कि 45 किलो पारंपरिक यूरिया. यह पौधों को सीधे पत्तियों के माध्यम से नाइट्रोजन उपलब्ध कराता है, जिससे फसल की बढ़वार और उत्पादन में सुधार होता है. साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी कम हानिकारक है क्योंकि यह जल स्रोतों को प्रदूषित नहीं करता.

नैनो यूरिया से होने वाले नुकसान
हालांकि, यह खाद केवल नाइट्रोजन प्रदान करता है और अन्य आवश्यक पोषक तत्व जैसे फास्फोरस, पोटाश या सल्फर इसमें नहीं होते. इसका उपयोग सिर्फ पत्तियों पर छिड़काव के रूप में किया जा सकता है, जिससे कुछ फसलों पर असर सीमित हो जाता है. मौसम के अनुसार इसका प्रभाव घट सकता है और सभी किसानों को इसके सही इस्तेमाल की जानकारी भी नहीं होती.



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