बरसात में चिचड़ और मक्खियों की संख्या तेजी से बढ़ती है क्योंकि नमी और गर्मी इनके प्रजनन के लिए अनुकूल माहौल बनाती है. ये पशुओं के शरीर से खून चूसते हैं, जिससे पशु कमजोर होते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है.
तनाव और उत्पादन में कमी: इन परजीवियों के काटने से पशु लगातार खुजली और बेचैनी महसूस करते हैं, जिससे वे तनाव में रहते हैं. इस तनाव के कारण उनका चारा खाना कम हो जाता है और दुग्ध उत्पादन में भी गिरावट आती है.
प्रभावी उपाय: चिचड़ और मक्खियों से छुटकारा पाने के लिए पशुओं और उनके बाड़े दोनों पर ध्यान देना ज़रूरी है.
पशु चिकित्सक की सलाह पर आइवरमेक्टिन जैसे इंजेक्शन का उपयोग किया जा सकता है. यह आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के परजीवियों पर प्रभावी होता है. बाजार में कई तरह की पशु-सुरक्षित कीटनाशक दवाएं उपलब्ध हैं, जैसे- साइपरमेथ्रिन, डेल्टामेथ्रिन आदि. इन्हें पानी में घोलकर पशु के शरीर पर छिड़काव करें. छिड़काव करते समय पशु की आंखों और मुंह का बचाव करें. इसे 7 से 10 दिन के अंतराल पर दोहराना चाहिए, खासकर बरसात के मौसम में.
नीम और निर्गुंडी का घोल
नीम और निर्गुंडी की पत्तियों को पानी में उबालकर ठंडा कर लें. इस घोल को छानकर स्प्रे बोतल में भरकर पशु के शरीर पर छिड़काव करें. यह एक देसी और सस्ता उपाय है, जो काफी प्रभावी है. इसे 3-4 दिन लगातार करने से लाभ मिलता है. कुछ पशुपालक लहसुन को पीसकर पशु के शरीर पर लगाते हैं या खिलाते हैं, जिससे परजीवी दूर रहते हैं. चूने और सल्फर को मिलाकर घोल बनाएं और इसे 7-10 दिन के अंतराल पर पशुओं को लगाएं. यह किलनी और चिचड़ से छुटकारा दिलाने में मदद करता है. 10-12 ग्राम कपूर को पीसकर किसी तेल या पानी में मिलाकर स्प्रे बोतल में डाल दें. इसे पशु पर सुबह-शाम छिड़कने से मक्खी-मच्छर नजदीक नहीं आते. ध्यान रहे कि आंखों का बचाव करें. चिचड़ी की समस्या में अलसी का तेल भी उपयोगी हो सकता है.
पशुशाला की नियमित रूप से सफाई करें. गोबर और गंदगी को तुरंत हटाएं क्योंकि ये परजीवियों के पनपने का मुख्य स्थान होते हैं. पशुशाला की दीवारों, फर्श और कोनों में भी कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करें. विशेष रूप से उन जगहों पर जहां चिचड़ अंडे देते हैं. यदि पशुशाला कच्ची है, तो मिट्टी हटाकर वहां घोल का छिड़काव कर सकते हैं. पशुशाला में पर्याप्त हवा और रोशनी का इंतजाम करें. अंधेरे और नमी वाली जगहें परजीवियों को आकर्षित करती हैं. पशुशाला को हमेशा सूखा रखें. गीली और दलदली जगहें चिचड़ और मक्खियों के लिए आदर्श होती हैं. शाम के समय पशुशाला में अजवाइन या नीम की पत्तियों का धुआं करने से भी मक्खी-मच्छर दूर रहते हैं. धुआं करते समय पशुओं को सुरक्षित दूरी पर रखें और आग से बचाव का पूरा ध्यान रखें. चिचड़ बड़ी संख्या में अंडे देते हैं इसलिए केवल पशु के शरीर से चिचड़ हटाना काफी नहीं है. उनके अंडे और लारवा को खत्म करना भी जरूरी है, जो अक्सर बाड़े में होते हैं.
पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं
पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें संतुलित आहार दें, जिसमें पर्याप्त खनिज मिश्रण (मिनरल मिक्सचर) शामिल हो. मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली वाले पशु बीमारियों से बेहतर तरीके से लड़ पाते हैं. पशुओं को नियमित डीवर्मिंग (पेट के कीड़े निकालने की दवा) कराएं क्योंकि आंतरिक परजीवी भी पशुओं को कमजोर करते हैं.
इन उपायों को अपनाकर आप बरसात के मौसम में अपने गाय-भैंसों को चिचड़, किलनी और मक्खियों के प्रकोप से बचा सकते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर रहेगा और दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित नहीं होगा. यदि समस्या गंभीर हो, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.