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Fertiliser Shortage in Khandwa: किसी भी किसान के लिए खाद कितना जरूरी है ये हम सब जानते हैं ऐसे में अगर इसकी कमी हो जाए तो क्या होगा? ऐसा ही कुछ हाल है आजकल खंडवा में, आइए जानते हैं इसके बारे में…
हाइलाइट्स
- खंडवा में खाद की भारी कमी से किसान परेशान.
- किसानों को घंटों लाइन में लगने के बाद भी नहीं मिल रही खाद.
- किसानों ने जिला प्रशासन से ग्राम स्तर पर खाद वितरण की मांग की.
खरीफ की बुवाई में तेजी आने के साथ ही डीएपी और यूरिया की मांग आसमान छू रही है. खंडवा के जिला सहकारी विपणन संघ कार्यालय पर किसानों की भारी भीड़ उमड़ रही है. यहां सिर्फ दो काउंटर होने के कारण किसानों को अपनी बारी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. कई किसानों का आरोप है कि कर्मचारी निर्धारित संख्या से कम ही पर्चियाँ काटते हैं, जिससे किसानों को बार-बार केंद्र के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. यह स्थिति न केवल उनका समय बर्बाद कर रही है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी नुकसान पहुँचा रही है.
रात से लाइन में लगने के बाद भी नहीं मिल रही खाद
किसानों की आपबीती सुनकर स्थिति की गंभीरता और बढ़ जाती है. भामगांव से आए किसान श्याम सिंह ने बताया कि “मैं ग्राम सहेजल से रात 2 बजे से लाइन में लगा हूँ, लेकिन दोपहर 1 बजे तक मेरा नंबर नहीं आया. कोई अधिकारी हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है.” उन्होंने आगे कहा कि उनके जैसे और भी कई किसान हैं जो खेत का काम छोड़कर खाद के लिए यहां आ रहे हैं, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है. इस तरह से किसानों का बहुमूल्य समय और मेहनत दोनों बर्बाद हो रही है.
केहलारी गाँव के किसान शिवराज का कहना है कि जिला मुख्यालय पर केवल एक ही जगह खाद दी जा रही है और उसके लिए भी केवल दो काउंटर खोले गए हैं. इससे किसानों को अत्यधिक परेशानी हो रही है. उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि ग्राम स्तर पर सहकारी समितियों में खाद वितरण की व्यवस्था की जाए ताकि किसानों को इतनी लंबी दूरी तय न करनी पड़े और उन्हें आसानी से खाद मिल सके. ग्राम स्तर पर वितरण से भीड़ कम होगी और व्यवस्था अधिक सुचारु रूप से चलेगी.
अमृत बनी खाद, रात भर करना पड़ता है इंतजार
खंडवा जिले में किसानों के लिए खाद अब ‘अमृत’ के समान हो गई है. सुबह से लेकर देर शाम तक इंतजार के बाद भी कई किसानों को खाद नसीब नहीं हो रही है. हालत यह है कि कई जगहों पर किसान अपनी बारी लगाने के लिए रात में ही अपनी बारी का टोकन या थैला रख देते हैं और वहीं सो जाते हैं. तड़के से ही किसानों की लंबी लाइनें लग जाती हैं, जो दिन भर बढ़ती रहती हैं. यह दृश्य किसानों की बेबसी और सरकारी व्यवस्था की खामियों को दर्शाता है.
किसानों का कहना है कि प्रशासन के दावों के विपरीत, उन्हें पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही है. भले ही अधिकारी यह आश्वासन दे रहे हों कि पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है और दो दिन के अवकाश के बाद वितरण शुरू होने से भीड़ बढ़ गई है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयाँ करती है. किसानों को लगता है कि उन्हें जानबूझकर परेशान किया जा रहा है और खाद वितरण की व्यवस्था में पारदर्शिता का अभाव है.
खंडवा जिले के किसान अपनी खरीफ फसलों की बुवाई के बाद सारे काम छोड़कर खाद के लिए भटक रहे हैं. उनका आरोप है कि अधिकारियों की उदासीनता और अव्यवस्था के कारण उन्हें इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. किसान उम्मीद कर रहे हैं कि जिला प्रशासन जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करेगा और उन्हें समय पर पर्याप्त खाद उपलब्ध कराएगा ताकि उनकी फसलें खराब न हों और उन्हें किसी बड़े नुकसान का सामना न करना पड़े.