हालांकि जब भाजपा आधिकारिक घोषणा करेगी तब ही नए अध्यक्ष का नाम सामने आएगा. लंबे समय से इंतजार है कि भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? कभी खबर आती है कि भाजपा इस बार राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर महिला नेता को जिम्मेदारी देने जा रही है तो कभी यह खबर आती है कि दक्षिण भारतीय चेहरा ही इस बार भाजपा अध्यक्ष बनने जा रहा है. लेकिन शिवराज सिंह चौहान का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में आना कई मायनों में महत्वपूर्ण है.
दरअसल शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उन्हें एक अनुभवी प्रशासक के साथ-साथ एक ‘मास लीडर’ और ‘क्राउड पुलर’ के रूप में जाना जाता है. उनकी ‘मामा’ और ‘पांव-पांव वाले भैया’ की छवि उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाती है. भाजपा को एक ऐसे अध्यक्ष की जरूरत है जो जनता से जुड़ा हो और राज्यों में पार्टी को मजबूत कर सके. शिवराज सिंह चौहान एक प्रमुख ओबीसी चेहरा हैं और उनकी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से गहरी जड़ें जुड़ी हुई हैं. भाजपा के लिए एक ओबीसी अध्यक्ष का होना सामाजिक समीकरणों को साधने और पार्टी के सामाजिक आधार को मजबूत करने में सहायक हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब विपक्षी दल जातिगत जनगणना और ओबीसी अधिकारों का मुद्दा उठा रहे हैं.
सत्ता-संगठन में संतुलन: 2023 के विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्री बनाया गया था. अगर वे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं, तो यह पार्टी के भीतर सत्ता और संगठन के बीच एक नया संतुलन स्थापित करेगा. यह दिखाता है कि पार्टी पुराने और अनुभवी नेताओं को महत्वपूर्ण भूमिकाओं में बनाए रखना चाहती है.
भाजपा अध्यक्ष पद के लिए अन्य नामों की भी चर्चा
धर्मेंद्र प्रधान: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान एक और मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. उनकी संघ पृष्ठभूमि मजबूत है और वे मोदी सरकार के महत्वपूर्ण मंत्री रहे हैं. वे भी एक ओबीसी चेहरा हैं और पार्टी के लिए एक युवा और ऊर्जावान नेतृत्व का विकल्प हो सकते हैं.
मनोहर लाल खट्टर: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी एक संभावित नाम हैं. वे भी संघ से जुड़े हुए हैं और एक ईमानदार तथा कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं.
भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें संगठनात्मक चुनावों और आरएसएस की राय का अहम योगदान होता है. पार्टी संविधान के अनुसार, कम से कम 15 साल से प्राथमिक सदस्य होना और 4 अवधियों तक सक्रिय सदस्य होना आवश्यक है. 19 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संभव होता है. आरएसएस का आशीर्वाद और सहमति इस पद के लिए सर्वोपरि मानी जाती है.
राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को और मजबूती देने की क्षमता और अनुभव
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पार्टी के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय होगा. यह केवल एक व्यक्ति का चयन नहीं है, बल्कि पार्टी की आगामी रणनीति, सामाजिक समीकरणों को साधने और 2029 के आम चुनावों की तैयारी का भी संकेत होगा. शिवराज सिंह चौहान जैसे अनुभवी और लोकप्रिय नेता का इस दौड़ में शामिल होना यह दर्शाता है कि पार्टी अनुभवी चेहरों और मजबूत संगठनात्मक क्षमता वाले नेताओं को प्राथमिकता दे रही है. अंतिम निर्णय पार्टी के संसदीय बोर्ड और आरएसएस के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा, जो सत्ता और संगठन के बीच एक नए संतुलन को परिभाषित करेगा.