हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के मामले में मंगलवार को सुनवाई की।
इंदौर में 3 साल की बच्ची वियाना जैन की संथारा ग्रहण करवाने के बाद हुई मौत के मामले में हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के मामले में मंगलवार को सुनवाई की। इसमें कोर्ट ने सचिव गृह मंत्रालय भारत सरकार, सचिव विधि मंत्रालय भारत सरकार, मुख्य सचिव मध्य प्रदेश शासन
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मामले में याचिकाकर्ता प्रांशु जैन ने अपने एडवोकेट शुभम शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। पिछली बार कोर्ट ने याचिका में बच्ची के माता-पिता को भी पक्षकार बनाने को कहा था। मंगलवार को इंदौर हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर करने के बाद सुनवाई शुरू की।
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की डबल बेंच ने इन सभी प्रतिवादीगण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में नाबालिग बच्चों और मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति को संथारा दिलाए जाने पर रोक लगाने की मांग की गई है।
यह है मामला
मामला 21 मार्च का है। बच्ची वियाना ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थी। उसे माता-पिता इंदौर में एक आध्यात्मिक संकल्प अभिग्रहधारी महाराज के पास दर्शन करने ले गए। महाराज ने बालिका की दूसरे दिन मृत्यु की भविष्यवाणी की थी। साथ ही उसे संथारा दिलाने के लिए कहा था।
इस पर माता-पिता ने उसे संथारा दिलाया था। ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में इसे सबसे कम उम्र में संथारा का रिकॉर्ड बताते हुए उन्हें सर्टिफिकेट जारी किया था। इसके खिलाफ प्रांशु जैन ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी।
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इंदौर में 3 साल की बच्ची का संथारा
वियाना को ब्रेन ट्यूमर था। इसका इलाज मुंबई के अस्पताल से कराया जा रहा था।
इंदौर में तीन साल की वियाना को संथारा दिलाया गया। धार्मिक प्रक्रिया पूरी होने के चंद मिनटों बाद ही उसकी समाधि मृत्यु हो गई। बच्ची को ब्रेन ट्यूमर था। इसका इलाज मुंबई के अस्पताल से कराया जा रहा था। पढ़िए पूरी खबर।