खंडवा में 100 करोड़ से बनेगा दादा धूनीवाले का दरबार: संगमरमर के 108 पिलर होंगे, सिर्फ 84 दिखेंगे; जानिए, नए मंदिर की खासियत – Khandwa News

खंडवा में 100 करोड़ से बनेगा दादा धूनीवाले का दरबार:  संगमरमर के 108 पिलर होंगे, सिर्फ 84 दिखेंगे; जानिए, नए मंदिर की खासियत – Khandwa News


खंडवा में दादाजी धाम अब नया आकार लेने जा रहा है। करीब 50 साल पहले सीमेंट-कांक्रीट से बना यह मंदिर अब 100 करोड़ की लागत से सफेद संगमरमर से तैयार हो रहा है। मंदिर 108 स्तंभों पर खड़ा होगा, जिसमें तीन प्रवेश द्वार होंगे।

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इसके सबसे खास बात यह है कि पिलर की संख्या भले ही 108 है, लेकिन नजर सिर्फ 84 ही आएंगे। नए मंदिर में बड़े दादाजी की समाधि मध्य में रहेगी, जबकि नर्मदा मैया का मंदिर बाजू में होगा। 30 जून को मंदिर का भूमिपूजन हाे चुका है। इसे सिंहस्थ 2028 से पहले तैयार करने की तैयारी है।

गुरुपूर्णिमा के अवसर पर देशभर से दादाजी के भक्त खंडवा पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में दैनिक भास्कर आपको बता रहा है नए मंदिर की खासियत, निर्माण योजना और पुराने मंदिर का इतिहास…। पढ़िए रिपोर्ट…

अभी ऐसा है मंदिर का स्वरूप

तीन साल बाद ऐसा नजर आएगा

नए मॉडल में तीनों मंदिर समानांतर बनाए जाएंगे।

नए मॉडल में तीनों मंदिर समानांतर बनाए जाएंगे।

चार पॉइंट में जानिए कैसा होगा नया मंदिर

1. सफेद मार्बल से आकार लेगा मंदिर दादाजी धूनीवाले मंदिर के नए मॉडल में सफेद मार्बल से निर्माण करने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान में मंदिर की सीमेंट-कांक्रीट की दीवारों और गुंबद पर भगवा रंग चढ़ा हुआ है, जो सालों से भक्तों की आंखों के सामने दादा दरबार की पहचान बना हुआ है, लेकिन अब नए निर्माण में उच्च क्वालिटी का सफेद मार्बल लगाया जाएगा, जिससे मंदिर और अधिक आकर्षक, दिव्य और भव्य स्वरूप में नजर आएगा।

2. सामने नहीं, बाजू में होगा नर्मदा मैया का मंदिर अभी दादाजी दरबार में तीन मंदिर हैं। बड़े दादाजी की समाधि, छोटे दादाजी की समाधि और बड़े दादाजी के ठीक सामने मां नर्मदा मैया का मंदिर। नए मॉडल में तीनों मंदिर समानांतर बनेंगे। इसमें मां नर्मदा का मंदिर बड़े दादाजी के बगल में नजर आएगा। ऐसे में बड़े दादाजी की समाधि मध्य में रहेगी। उनके एक तरफ नर्मदा मैया और दूसरी तरफ छोटे दादाजी का मंदिर होगा।

मंदिर में तीन शिखर बनेंगे, जिनमें सबसे ऊंचा शिखर श्री धूनीवाले दादाजी का होगा। खास बात यह है कि तय नियमों के अनुसार, निर्माण के दौरान दोनों समाधि स्थलों से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। अक्षरधाम मंदिर को डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट वीरेंद्र त्रिवेदी ही नए मंदिर को आकार दे रहे हैं।

यह तस्वीर 30 जून की है, जब मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन हुआ था।

यह तस्वीर 30 जून की है, जब मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन हुआ था।

3. दो की जगह नए मंदिर में तीन प्रवेश द्वार होंगे दादाजी दरबार में अभी दो प्रवेश द्वार हैं। पहला द्वार ट्रस्ट कार्यालय की तरफ से होकर छोटे दादाजी की समाधि तक जाता है। वहीं, दूसरा मुख्य द्वार है, जिससे प्रवेश करने पर सीधे बड़े दादाजी की समाधि और धूनी माई तक पहुंचा जा सकता है।

परंपरा के अनुसार पहले बड़े दादाजी केशवानंद महाराज के दर्शन होते हैं, फिर उनके शिष्य छोटे दादाजी हरिहर भोलेनाथ के दर्शन कर परिक्रमा पूरी की जाती है। पहले द्वार को निकासी द्वार भी माना जाता है। नए मॉडल में मंदिर के फ्रंट पर अब तीन प्रवेश द्वार बनाए जाएंगे, जिससे श्रद्धालुओं की आवाजाही और भी सुगम होगी।

4. कुल 108 खंभे होंगे, लेकिन दिखेंगे सिर्फ 84 नए मंदिर का निर्माण कुल 108 खंभों पर किया जाएगा, जो सफेद मार्बल के होंगे। इन 108 में से 24 खंभों पर तीन मंदिरों की दीवारें बनेंगी, जिसके कारण खुले खंभे यानी ओपन पिलर्स की संख्या 84 रह जाएगी। यानी मंदिर 108 खंभों पर खड़ा होगा, लेकिन श्रद्धालुओं को केवल 84 खंभे ही नजर आएंगे।

दरअसल, मंदिर ट्रस्ट ने 108 खंभों का प्रस्ताव रखा था, जबकि कुछ लोगों का मानना था कि छोटे दादाजी की इच्छा 84 खंभों वाला मंदिर बनाने की थी। इस पर आर्किटेक्ट ने डिजाइन में ऐसा समाधान निकाला, जिससे दोनों आंकड़े 108 और 84 नए मॉडल में शामिल हो गए।

ट्रस्ट का भी नया डेवलपमेंट प्लान तैयार श्री धूनीवाले दादाजी का आश्रम करीब 23 एकड़ में फैला है, जिसमें मंदिर के अलावा भक्त निवास, गोशाला, बगीचा, मंदिर ट्रस्ट कार्यालय, भक्तों के ठहरने के लिए हॉल और प्रसादालय शामिल हैं।

नए मंदिर का निर्माण कार्य मंदिर ट्रस्ट के बजाय एक विशेष समिति की देखरेख में किया जाएगा। वहीं ट्रस्ट ने गोशाला, भक्त निवास और अन्य सुविधाओं को भी नया रूप देने के लिए अलग से डेवलपमेंट प्लान तैयार किया है। ट्रस्ट का दावा है कि सिंहस्थ से पहले नए मंदिर के साथ-साथ ये प्रोजेक्ट भी पूरे कर लिए जाएंगे।

100 करोड़ रुपए का खर्च, सिंहस्थ से पहले बनाने की तैयारी श्री धूनीवाला मंदिर निर्माण समिति के सदस्य और सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के मुताबिक, नए मॉडल और उसमें लगने वाले पत्थर की मात्रा के हिसाब से मंदिर निर्माण की लागत करीब 65 करोड़ रुपए आंकी गई है।

हालांकि एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि निर्माण पूरा होते-होते खर्च बढ़कर करीब 100 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। सांसद पाटिल ने बताया कि 15 अगस्त तक डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार हो जाएगी।

ऐसा है मंदिर का इतिहास

1930 में ली थी श्री दादाजी धूनीवाले ने समाधि बड़े दादाजी श्री केशवानंद महाराज ने वर्ष 1930 में खंडवा में समाधि ली थी। इसके बाद छोटे दादाजी ने भवानी माता मंदिर के पास 23 एकड़ ज़मीन खरीदी और उसी स्थान पर बड़े दादाजी की पार्थिव देह को समाधिस्थ किया गया। उस समय समाधि स्थल के चारों ओर पक्की दीवारें बनवाई गईं और ऊपर टीनशेड लगाया गया। बाद में जब छोटे दादाजी भी समाधिस्थ हुए, तो उनकी समाधि भी बड़े दादाजी की समाधि के पास ही बनाई गई।

1970 के दशक में बना था मौजूदा मंदिर श्री धूनीवाले दादाजी का वर्तमान मंदिर 1970 के दशक में बनाया गया था। यह आरसीसी पैटर्न पर निर्मित है। इस मंदिर की खासियत यह है कि बड़े दादाजी और छोटे दादाजी की समाधियों पर बने गुंबदों (डोम) के बीच कोई पिलर नहीं है, जिससे दर्शनार्थियों को एक साथ दोनों समाधियों के दर्शन हो पाते हैं।

मंदिर का मॉडल तैयार करने से लेकर निर्माण तक का कार्य इंजीनियर एनके श्रीमाली की देखरेख में हुआ था। करीब 55 साल बीत जाने के कारण यह आरसीसी मंदिर अब कई जगहों से जर्जर हो चुका है। मंदिर ट्रस्ट समय-समय पर इसका रखरखाव (मेंटेनेंस) कराता रहा है।



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