वोटर लिस्ट से पासपोर्ट तक… नेपाली युवक ने बना ली थी भारत की पहचान, लेकिन

वोटर लिस्ट से पासपोर्ट तक… नेपाली युवक ने बना ली थी भारत की पहचान, लेकिन


जबलपुर. मध्य प्रदेश के जबलपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक नेपाली नागरिक ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे न केवल खुद को भारतीय बताते हुए पासपोर्ट बनवाया, बल्कि स्थानीय मतदान सूची में भी अपना नाम दर्ज करा लिया. इस पूरे मामले का पर्दाफाश दिल्ली हवाई अड्डे पर सुरक्षा जाँच के दौरान हुआ, जिसके बाद प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है. जानकारी के अनुसार दीपक थापा (39) नाम का यह शख्‍स पिछले कुछ वर्षों से जबलपुर के सिविल लाइन क्षेत्र स्थित पवित्रा अपार्टमेंट में रह रहा था.

उसने बताया कि वर्ष 2018 में कैंट विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाया था. इसके बाद, उसने कथित तौर पर भारतीय पहचान के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हुए एक भारतीय पासपोर्ट भी बनवा लिया. हाल ही में दीपक थापा विदेश जाने की फिराक में था, लेकिन दिल्ली हवाई अड्डे पर कड़ी सुरक्षा जाँच के दौरान उसकी असली पहचान सामने आ गई. केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने उसे संदिग्ध मानते हुए पकड़ा और गहन पूछताछ के बाद जाँच एजेंसियों के हवाले कर दिया.

फर्जी कागजातों का इस्तेमाल किया, भारतीय पासपोर्ट बनवाया
सुरक्षा एजेंसियों ने प्राथमिक जाँच के उपरांत तत्काल जबलपुर जिला प्रशासन को इस गंभीर मामले की सूचना दी. जाँच के आधार पर, राँझी के एसडीएम रघुवीर सिंह ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के स्पष्ट निर्देशों के तहत इस युवक के खिलाफ कार्रवाई की गई है. उन्होंने पुष्टि की कि दीपक थापा ने फर्जी कागजातों का इस्तेमाल कर मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराया और अवैध रूप से भारतीय पासपोर्ट बनवाया. विस्तृत जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि दीपक थापा मूल रूप से नेपाल का नागरिक है.

इस खुलासे के बाद, निर्वाचन आयोग के नियमों का पालन करते हुए, दीपक थापा का नाम तत्काल प्रभाव से मतदाता सूची से हटा दिया गया है. इसके अतिरिक्त, सिविल लाइन पुलिस ने दीपक थापा के खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 31 और 32 के तहत मामला दर्ज कर उसे हिरासत में ले लिया है. इन धाराओं के तहत फर्जी तरीके से मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने और गलत जानकारी देने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है.

फर्जी दस्‍तावेज तैयार करने में मदद करने वालों की तलाश 
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा ने इस मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि पुलिस अब इस बात की गहन जाँच कर रही है कि दीपक थापा को इन फर्जी दस्तावेजों को तैयार करने में किन लोगों ने मदद की. यह एक महत्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि ऐसे मामलों में अक्सर स्थानीय अधिकारियों, दलालों या संगठित गिरोहों की मिलीभगत की संभावना होती है. पुलिस इस कोण से भी जाँच कर रही है कि क्या किसी स्थानीय अधिकारी, दलाल या किसी अन्य संस्था ने इस अवैध प्रक्रिया में उसकी सहायता की थी. शर्मा ने आश्वासन दिया कि इस प्रकरण में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर मामला, जांच शुरू 
यह मामला भारतीय नागरिकता कानूनों की संवेदनशीलता को भी उजागर करता है. भारत का संविधान दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है. इसका स्पष्ट अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति भारत और किसी दूसरे देश की नागरिकता एक साथ नहीं रख सकता है. ऐसे में, दीपक थापा द्वारा किया गया यह प्रयास न केवल अवैध है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक बेहद गंभीर मामला भी बनता है. ऐसे मामलों से देश की आंतरिक सुरक्षा और पहचान प्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं.

चुनाव आयोग भी हुआ सतर्क, सतर्कता बरतने के निर्देश 
इस घटना के सामने आने के बाद, भारत निर्वाचन आयोग ने भी सभी राज्यों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश जारी किए हैं. खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों वाले जिलों में फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय पहचान बनाने की कोशिशों को लेकर विशेष सतर्कता और निगरानी की आवश्यकता जताई गई है. आयोग का मानना है कि ऐसे मामले भविष्य में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं.



Source link