मंडे मानसून अपडेट: एमपी में सीजन की 45% बारिश: निवाड़ी में 102%, टीकमगढ़ में 90% हुई; इंदौर-उज्जैन संभाग में कम गिरा पानी – Bhopal News

मंडे मानसून अपडेट: एमपी में सीजन की 45% बारिश:  निवाड़ी में 102%, टीकमगढ़ में 90% हुई; इंदौर-उज्जैन संभाग में कम गिरा पानी – Bhopal News


मध्यप्रदेश में 1 महीने के अंदर ही कोटे की 45% यानी, औसत 17.4 इंच बारिश हो गई है।

स्ट्रॉन्ग सिस्टम की बदौलत मध्यप्रदेश में 1 महीने के अंदर ही कोटे की 45% यानी, औसत 17.4 इंच बारिश हो गई है। निवाड़ी में कोटा फुल हो चुका है। यहां 102% पानी गिर चुका है। टीकमगढ़ में 90 फीसदी बारिश हुई है। प्रदेश के पूर्वी हिस्से-जबलपुर, रीवा, शहडोल और सा

.

प्रदेश में मानसून के एंटर हुए 16 जुलाई को 1 महीना हो जाएगा। हालांकि, मानसूनी सीजन 1 जून से ही शुरू हो गया था। यानी, डेढ़ महीने में करीब आधी बारिश हो चुकी है। इस बार लगातार स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव रहे। इस कारण पूर्वी हिस्से में बाढ़ आ गई। छतरपुर, मंडला, सिवनी, शिवपुरी, उमरिया समेत कई जिलों में एक सप्ताह से बाढ़ के हालात है। नदियां उफान पर हैं। नर्मदा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इस वजह से बारिश का आंकड़ा भी बढ़ा है।

मौसम विभाग के अनुसार, अभी भी मानसून सीजन के ढाई महीने बाकी है। ऐसे में मौसम विभाग ने 125 प्रतिशत यानी, 45 इंच से ज्यादा बारिश होने की उम्मीद है। बता दें कि मौसम विभाग ने इस बार प्रदेश में सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान जताया है।

टीकमगढ़ में तेज बारिश का दौर बना रहा। इसके चलते यहां सामान्य बारिश का 90 प्रतिशत पानी गिर चुका है।

मंडला में 33 इंच से ज्यादा पानी गिरा मंडला की औसत बारिश 47 इंच है। जिसके मुकाबले 33.17 इंच पानी गिर चुका है। इंच में यह सबसे ज्यादा बारिश है। निवाड़ी में साढ़े 30 इंच की जगह 31.27 इंच बारिश हो चुकी है। यानी, इस जिले में कोटा पूरा हो गया। टीकमगढ़ की औसत 35.89 इंच बारिश के मुकाबले 32 इंच पानी गिर चुका है।

कई डैम ओवरफ्लो हुए अब तक हुई बारिश की वजह से कई डैम ओवरफ्लो हो गए हैं। भोपाल के बड़ा तालाब, केरवा-कलियासोत डैम में भी पानी आया है। हालांकि, पिछले साल जुलाई में ही कई डैमों के सभी गेट खुल गए थे। इस बार भी जौहिला, बरगी डैम के गेट खुल चुके हैं।

इस सप्ताह एमपी के कई जिलों में डैम ओवरफ्लो हो गए।

इस सप्ताह एमपी के कई जिलों में डैम ओवरफ्लो हो गए।

ऐसे समझें बारिश का गणित…

30 इंच से ज्यादा बारिश वाले जिले

  • मंडला, टीकमगढ़, निवाड़ी।

20 से 30 इंच तक बारिश वाले जिले

  • रायसेन, जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, सिवनी, बालाघाट, डिंडौरी, शिवपुरी, अशोकनगर, सागर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, श्योपुर, सीधी, नर्मदापुरम।

10 से 19 इंच बारिश वाले जिले

  • भोपाल, सीहोर, राजगढ़, विदिशा, हरदा, बैतूल, सतना, सिंगरौली, रीवा, मुरैना, भिंड, नीमच, रतलाम, ग्वालियर, गुना, छिंदवाड़ा।

इन जिलों में हुई 10 इंच से कम बारिश

  • इंदौर, बड़वानी, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, दतिया, उज्जैन, देवास, शाजापुर, मंदसौर, आगर-मालवा।

मध्यप्रदेश में कैसा रहेगा यह सप्ताह सीनियर मौसम वैज्ञानिक अरुण शर्मा ने बताया कि वर्तमान में बारिश के स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव है। जिनका असर अगले कुछ दिनों तक और बना रहेगा। इस वजह से प्रदेश में अति भारी या भारी बारिश का दौर जारी रहेगा।

5 बड़े शहरों में ऐसा रहेगा मौसम

  • भोपाल: भोपाल में 14 इंच पानी गिर चुका है, जो कोटे की कुल बारिश का एक तिहाई है। अगले सप्ताह तेज बारिश का दौर शुरू होगा। ऐसे में आंकड़ा बढ़ जाएगा। संभाग के रायसेन में सबसे ज्यादा साढ़े 21 इंच बारिश हुई है। सीहोर, राजगढ़ और विदिशा में 15 इंच से ज्यादा पानी गिर चुका है।
  • इंदौर: बारिश के मामले में इंदौर अभी पिछड़ा हुआ है। यहां सिर्फ 6 इंच ही बारिश हुई है। संभाग के बड़वानी में 8.41 इंच, बुरहानपुर में 6.11 इंच, खंडवा में साढ़े 8 इंच और खरगोन में 7.72 इंच पानी गिरा है।
  • जबलपुर: इस सप्ताह जबलपुर समेत आसपास के जिलों में मानसून की स्ट्रॉन्ग एक्टिविटी रही है। इस वजह से बारिश का आंकड़ा बढ़ गया। जबलपुर में ही 21 इंच से ज्यादा पानी गिर चुका है। छिंदवाड़ा को छोड़ बाकी जिलों में 20 इंच से ज्यादा पानी गिरा है।
  • उज्जैन: इस बार उज्जैन संभाग के जिलों में मानसून की मेहरबानी कम देखने को मिल रही है। उज्जैन में 7 इंच पानी गिरा है। वहीं, शाजापुर में 6 इंच बारिश हुई है। आगर-मालवा में भी सवा 6 इंच बारिश ही हुई है। रतलाम-नीमच में ही आंकड़ा 12 इंच से ज्यादा है। इस सप्ताह तेज बारिश होने का अनुमान है।
  • ग्वालियर: ग्वालियर संभाग में अब तक अच्छी बारिश हुई है। 4 जिले- ग्वालियर, शिवपुरी, गुना और अशोकनगर में 17 इंच से ज्यादा पानी गिर चुका है। शिवपुरी में आंकड़ा 22.72 इंच है। वहीं, दतिया में सबसे कम 10 इंच हुई है। आने वाले दिनों में यहां सिस्टम एक्टिव रहेंगे। ऐसे में बारिश का आंकड़ा लगातार बढ़ेगा।



Source link