300 मेगावाट का मसाया सोलर प्लांट सील: आदिवासियों की जमीन पर बिना अनुमति शुरू किया था निर्माण; परमिशन देने वाले अफसरों पर होगी कार्रवाई – Khandwa News

300 मेगावाट का मसाया सोलर प्लांट सील:  आदिवासियों की जमीन पर बिना अनुमति शुरू किया था निर्माण; परमिशन देने वाले अफसरों पर होगी कार्रवाई – Khandwa News


कलेक्टर ऋषव गुप्ता द्वारा गठित जांच दल ने मौके पर जाकर प्लांट को बंद कराया।

खंडवा जिले में 300 मेगावाट के मसाया सोलर प्लांट को जिला प्रशासन ने सील कर दिया है। कार्रवाई शुक्रवार देर रात की गई। कलेक्टर ऋषव गुप्ता द्वारा गठित जांच दल ने मौके पर जाकर प्लांट को बंद कराया। शिकायत थी कि यह सोलर प्लांट आदिवासियों की जमीन पर बिना अनु

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शिकायत इंदौर संभागायुक्त को की गई थी, जिसके आधार पर कलेक्टर ने जांच कराई। जांच में सामने आया कि ग्राम धरमपुरी, कनवानी, भावसिंगपुरा, बड़गांव माली और सिवना में बड़ी संख्या में आदिवासी किसानों की भूमि पर बिना वैधानिक प्रक्रिया के सोलर प्लांट लगाया गया।

बिना अनुमति शुरू किया गया उत्पादन

कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने बताया, “कंपनी ने वैधानिक अनुमति प्राप्त किए बिना ही आदिवासी किसानों की भूमि पर प्लांट लगाकर उत्पादन शुरू कर दिया है। यह पूरी तरह अनुचित और अवैधानिक है।” जांच में यह भी सामने आया कि कुछ मामलों में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों से दबाव बनाकर जमीन ली गई। वहीं कई अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों की जमीन बिना पर्याप्त मुआवजा दिए हस्तांतरित की गई। कई मामलों में किसानों की निरक्षरता का फायदा उठाकर उनके बैंक खातों से राशि भी निकाल ली गई।

प्लांट सील करने पहुंचे अधिकारी।

कब्जे के आधार पर कराया भूमि का डायवर्जन कलेक्टर के अनुसार, कुछ मामलों में खसरे में नामांतरण नहीं होने के बावजूद, केवल कब्जे के आधार पर कंपनी ने जमीन का डायवर्जन औद्योगिक उपयोग के लिए करा लिया। यह मप्र भू-राजस्व संहिता का सीधा उल्लंघन है।

60 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा मसाया सोलर एनर्जी कंपनी ने चरनोंई, नाला, सड़क और छोटे झाड़ के जंगल मदों की करीब 27.64 हेक्टेयर (लगभग 60 एकड़) शासकीय भूमि पर बिना किसी लीज या अधिग्रहण के कब्जा कर लिया है। कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि जब तक लीज या विधिवत आवंटन की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक सोलर प्लांट का संचालन बंद रहेगा।

प्लांट में मौजूद मशीनों को सील किया गया।

प्लांट में मौजूद मशीनों को सील किया गया।

अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध, होगी जांच जांच में सामने आया कि तत्कालीन और वर्तमान एसडीएम सहित कई राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से यह पूरा मामला हुआ। शिकायतों में इन पर लाखों रुपए की रिश्वत लेने के आरोप भी हैं। कलेक्टर गुप्ता ने कहा, “जिन अधिकारियों की देखरेख में यह अवैध कब्जे हुए, उनके खिलाफ भी उच्च स्तरीय जांच की जाएगी। अफसरों की संपत्तियों की भी जांच कराई जाएगी।”

प्रशासन अब आदिवासियों की जमीन की सुरक्षा और पुनः वैध स्वामित्व सुनिश्चित करने की प्रक्रिया में जुट गया है। मामले की उच्च स्तर पर निगरानी की जा रही है।



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